साल 2002 में गुजरात में हुए दंगो के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और 63 अन्य लोगों को विशेष जांच दल यानी SIT द्वारा क्लीन चिट दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया.
यह याचिका गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी ने दायर की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए इसे किसी गुप्त उद्देश्य के लिए मामले को जारी रखने की गलत मंशा से डाली गई याचिका कहा. कोर्ट ने यह भी कहा कि जो प्रक्रिया का इस तरह से गलत इस्तेमाल करते हैं, उन्हें कटघरे में खड़ा करके उनके खिलाफ कानून के दायरे में कार्रवाई की जानी चाहिए.
क्या है गुजरात दंगो का मामला
कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी (जकिया के पति) 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 लोग मारे गए थे. इसके बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे भड़क गए थे.इन दंगों में 1,044 लोग मारे गए थे, जिसमें से अधिकतर मुसलमान थे. केंद्र सरकार ने मई 2005 में राज्यसभा को बताया कि गोधरा कांड के बाद के दंगों में 254 हिंदू और 790 मुस्लिम मारे गए थे.
SIT के काम की तारीफ की सुप्रीम कोर्ट ने
कोर्ट ने SIT के ‘अथक प्रयासों’ के लिए उसकी सराहना की. अदालत ने कहा कि SIT ने बेहतरीन काम किया है. बेंच ने कहा कि SIT की जांच में कोई दोष नहीं पाया जा सकता और मामले को बंद करने से संबंधित उसकी आठ फरवरी 2012 की रिपोर्ट पूरी तरह से तथ्यों पर आधारित है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बंद करने संबंधी 2012 में सौंपी गई SIT की रिपोर्ट को स्वीकार करने और उसके खिलाफ दाखिल जाकिया की याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा. जकिया ने हाई कोर्ट के 5 अक्टूबर, 2017 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने SIT की रिपोर्ट के खिलाफ उनकी याचिका को खारिज कर दिया था.
पीठ ने 452 पृष्ठ के अपने आदेश में कहा, ‘हम मामले की जांच के सिलसिले में कानून के उल्लंघन और अंतिम रिपोर्ट को लेकर मजिस्ट्रेट तथा उच्च न्यायालय के रुख के खिलाफ अपीलकर्ता के प्रतिवेदन से सहमत नहीं हैं.’
गुजरात में 2002 में हुए दंगों पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा
एक इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा की दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी और हाल के दिनों में राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ पर हुए सवाल पर शाह ने कहा, मोदी जी एसआईटी के सामने नाटक नहीं करते थे.
उन्होंने राहुल गांधी का बिना नाम लेते हुए कहा, मोदी जी ने एसआईटी की पूछताछ पर कभी भी ड्रामा नहीं किया कि मेरे समर्थन में आ जाओ. गांव-गांव से आओ. वो न आएं तो एमएलए को बुला लो. सांसदों को बुला लो।.पूर्व सांसदों को बुला लो. तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं कहते थे, मैं सहयोग करने को तैयार हूं. हमारे यहां कोई भी व्यक्ति न्यायिक परिधि से बाहर नहीं है.
अमित शाह ने गुजरात दंगों पर फिर कहा, सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक जांच हुई. इसमें हमें क्लीन चिट मिली. इसके अलावा नानावती आयोग ने अपनी रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दी.इसके बाद भी एसआईटी गठित की गई. लेकिन हमने हमेशा एसआईटी का सहयोग किया. क्योंकि, हमारा भरोसा न्यायिक प्रक्रिया पर है. हम हमेशा उसका सहयोग करते आए हैं.
अमित शाह ने कहा, मैंने पीएम मोदी के दर्द को नजदीक से देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे.. बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है. उन्होंने कहा, पीएम मोदी पर गलत आरोप लगाए गए थे. ऐसा करने वालों को अब माफी मांगनी चाहिए. क्योंकि मोदी जी ने हमेशा ही कानून का साथ दिया.
उन्होंने कहा, “एक बड़े नेता ने 18 से 19 साल तक बिना एक शब्द कहे और भगवान शंकर के ‘विशपान’ जैसे सभी दर्द को झेला, मैंने उन्हें बहुत करीब से पीड़ित देखा। केवल एक मजबूत इरादों वाला व्यक्ति ही खड़ा हो सकता था.”