अक्षय तृतीया का दिन हिंदुओं में काफी शुभ दिन माना जाता है | अक्षय तृतीया को जप, दान या पुण्य जैसे कई अच्छे कामों के लिए भाग्यशाली माना जाता है | अक्षय शब्द का मतलब होता है कभी कम नहीं होना |
इसका सीधा मतलब ये है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का फायदा कभी कम नहीं होगा इस दिन सोना खरीदना लाभकारी होता है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अक्षय तृतीया के दिन अगर सोना खरीदा जाए तो इससे व्यक्ति के जीवन पर माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है | अक्षय तृतीया साल के चार सबसे शुभ मुहूर्तों में से एक है |
इस दिन बिना किसी मुहूर्त के कोई भी मांगलिक कार्य संपन्न किए जा सकते हैं जैसे विवाह, गृह प्रवेश या मुंडन आदि |
जाने अक्षय तृतीया का क्या है इतिहास ?
ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान कृष्ण ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया था | इस पात्र ने उनके निर्वासन के दौरान अंतहीन भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित की थी | लोगों ने इस दिन को संपत्ति के बढ़ते रहने की उम्मीद के साथ शुभ मानना शुरू कर दिया | ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन कुबेर को धन का मालिक बनाया गया था |
अक्षय तृतीया पर पूजा और खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया मंगलवार, 3 मई 2022 को है | अक्षय तृतीया पर पूजा का मुहूर्त सुबह 05 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक है | अक्षय तृतीया पर पूजा की अवधि 06 घण्टे 27 मिनट्स है | तृतीया तिथि 03 मई 2022 को सुबह 05 बजकर 18 मिनट से प्रारम्भ है और 04 मई 2022 को सुबह 07 बजकर 32 मिनट तृतीया तिथि समाप्त हो रही है | इसके अलावा सोना(Gold) खरीदने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 59 मिनट से लेकर 4 मई 2022 को सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक है |
अक्षय तृतीयापर कैसे करे पूजा
- इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- स्नान करने के बाद साफ स्वच्छ पीले रंग के वस्त्र पहनें।
- अब घर में विष्णु जी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं और तुलसी, पीले फूलों की माला या सिर्फ पीले फूल चढ़ाएं|
- इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- इस पावन दिन माता लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा का विशेष महत्व होता है।
- भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को भोग अवश्य लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाया जाता है।
- इसके अलावा विष्णु से संबंधित ग्रंथों जैसे विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा का पाठ करें |
- अंत में, विष्णु जी की आरती करें |