भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी की चौथी पुण्यतिथि है. 16 अगस्त, 2018 को इनका 93 वर्ष की आयु में निधन हो गया था. इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उनके समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके आलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी श्रद्धांजलि दी.
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय
अटल जी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले में मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. अटल जी के 7 भाई बहन थे. उनके पिता कृष्णा बिहारी स्कूल टीचर व हिंदी कवि थे. स्वरास्ती स्कूल से स्कूलिंग करने के बाद अटल जी ने लक्ष्मीबाई कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया, इसके बाद उन्होंने कानपूर के DAVV कॉलेज से इकोनोमिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. उन्होंने लखनऊ के लॉ कॉलेज में आगे पढ़ने के लिए आवेदन भी दिया, लेकिन फिर उनका पढाई में मन नहीं लगा और वे आरएसएस द्वारा पब्लिश मैगजीन में एडिटर का काम करने लगे.
अटल जी को एक बहुत अच्छे पत्रकार, राजनेता व कवी के रूप में जाना जाता है. अटल जी ने कभी शादी नहीं की, लेकिन उन्होंने B N कॉल की 2 बेटियां नमिता और नंदिता को गोद लिया था. अटल जी सच्चे देश भक्त रहे, पढाई करते समय भी वे आजादी की लड़ाई में बड़े बड़े नेताओं के साथ खड़े रहे. वे उस समय बहुत से हिंदी न्यूज़ पेपर के एडिटर भी रहे.
अटल बिहारी वाजपेयी का चुनाव सफ़र
अटल बिहारी वाजपेयी 1968 से 1973 तक जनसंघ राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे.1952 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. इसके बाद 1957 में यूपी के बलरामपुर सीट से जनसंघ प्रत्याशी के रूप में उन्होंने विजय प्राप्त की. आपात काल में आई मोरारजी देसाई की सरकार में 1977 से 1979 तक वे विदेश मंत्री रहे. वर्ष 1980 में जनता पार्टी से अलग होकर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में सहायता की और बाद में 6 अप्रैल 1980 को बनी भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष भी बने. जिसके बाद वह दो बार राज्यसभा के लिए भी चुने गए.
वाजपेयी का भारत के प्रधानमंत्री पद का सफ़र
वर्ष 1996 में पहली बार अटल बिहारी देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन उनकी सरकार मात्र 13 दिनों के बाद ही लुढ़क गई. जिसके बाद वर्ष 1998 में वे दोबारा पीएम बने, लेकिन 13 महीने बाद 1999 की आरंभ में उनके नेतृत्व वाली सरकार दूसरी बार गिर गई. चुनाव हुए और 1999 में ही उनके नेतृत्व में 13 दलों की गठबंधन सरकार बनी, जिसने सफलतापूर्वक पांच साल का कार्यकाल पूरा किया, यह अपना कार्यकाल पूरा करने वाली पहली गैर कांग्रेसी सरकार थी.
वाजपेयी को मिले है ये सम्मान
- वाजपेयी को 1992 में पद्म विभूषण
- 1993 में कानपुर विश्वविद्यालय से डी लिट की उपाधि मिली थी
- 1994 में वाजपेयी को लोकमान्य तिलक पुरस्कार
- 1994 में श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार और भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार से नवाजा गया
- 2015 में मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय जिया लाल बैरवा (देवली) से डी लिट की उपाधि मिली
- बांग्लादेश सरकार की तरफ से ‘फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वॉर अवॉर्ड’
- भारत सरकार की ओर से देश के सबसे बड़े पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित किया गया
मृत्यु
अटल बिहारी वाजपेयी लंबे समय से बीमार थे और साल 2009 में ये स्ट्रोक का भी शिकार हो गए. जिसके कारण इनके सोचने समझने की क्षमता पर असर पड़ा और ये धीरे धीरे डिमेंशिया नामक बीमारी से ग्रस्त हो गए. इस महान राजनेता ने अपने जीवन की अंतिम सांस दिल्ली के एम्स में 16 अगस्त, 2018 को ली. इनका इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक इनका निधन निमोनिया और बहु अंग विफलता के कारण हुआ.
पीएम मोदी सहित इन नेताओ ने दी श्रद्धांजलि
भारतीय जनता पार्टी ने ट्वीट कर लिखा कि हमारी पार्टी के पितृ पुरुष, करोड़ों कार्यकर्ताओं के पथ प्रदर्शक एवं हमारे प्रेरणा स्रोत, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने आज ‘सदैव अटल’ की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की.
अटल स्मारक जाकर पीएम मोदी और राष्ट्रपति मुर्मू ने दी श्रद्धंजलि
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी की चौथी पुण्यतिथि पर अटल स्मारक जाकर उन्हें श्रद्धंजलि अर्पित की, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, गृह मंत्री अमित शाह ने अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी.