हर वर्ष 23 जुलाई को पूर्ण स्वराज की मांग करने वाले बाल गंगाधर तिलक की जयंती मनाई जाती है. पुरे देश में इस बार उनकी 166वीं जयंती मनाई जा रही है. उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता के रूप में भी जाना जाता है इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक को श्रद्धांजलि दी.
बाल गंगाधर तिलक का जन्म कब और कहाँ हुआ था
लोकमान्य तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के कोंकण जिले में हुआ था. उनका पूरा नाम केशव गंगाधर तिलक था. तिलक ने गवर्नटमेंट ला कालेज से शिक्षा ग्रहण की. वे फर्ग्युसन कालेज, डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी और न्यू इंग्लिश स्कूल के संस्थापक थे. उनका लोकप्रिय नारा था- स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेंगे. उनका निधन एक अगस्त 1920 को मुंबई में हुआ था. उन्होंने मशहूर गीता रहस्य नामक पुस्तक भी लिखी.
बाल गंगाधर ने स्वतंत्रता की चिंगारी को ऊपर उठाने के लिए अलग अलग उपाय किये उन्होंने काउंसिल हॉल में भाषण देने और अंग्रेजों के लिए अंतहीन याचिकाएं लिखने के बजाय, उन्होंने ऐसे अभियान विकसित किए जो कांग्रेस को लोगों के बीच ले गए. इन अभियानों का उद्देश्य कांग्रेस पार्टी के प्रोफाइल को ऊपर उठाना था.
जैसे कि,1893 में,उन्होंने लोकप्रिय गणपति उत्सव में एक राजनीतिक आयाम जोड़ने का प्रयास किया. 1895 में, उन्होंने 17वीं सदी के महान महाराष्ट्रीयन नेता, शिवाजी के सम्मान में एक आंदोलन का आयोजन किया.
तिलक ने कहा -स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
लोकमान्य तिलक ऐसे पहले नेता है जिन्होंने सबसे पहले पूर्ण स्वराज की मांग उठाई थी. जब अंग्रेजों ने उन्हें सताने के लिए 1897 में 18 महीने के लिए जेल में डाल दिया था, तब जब वे बाहर निकले उन्होंने अपना नारा दिया कि “स्वराज (स्व-शासन) मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा”.
1908 में उन पर जब देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया. तो अदालत द्वारा उन्हें उनके पक्ष में बोलने के लिए राजनीतिक रंगमंच प्रदान किया तब उन्होंने अपने बचाव में 21 घंटे का भाषण दिया. बाल गंगाधर तिलक को उनकी तेज आवाज और बेहतरीन वक्ता के रूप में जाना जाता था.
उनकी महनता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की जब 1920 में तिलक की मृत्यु हो गई थी तब उनके दाह संस्कार के लिए बॉम्बे में लगभग 200,000 शोक मनाने वालों में शामिल हुए थे. इतना ही नहीं बल्कि महात्मा गांधी ने उनके लिए कहा था कि तिलक आधुनिक भारत के निर्माता थे.
आज है चंद्रशेखर आजाद का भी जन्म दिवस
आज चंद्रशेखर आजाद का जन्म दिन है. इनका जन्म 23 जुलाई 1906 को हुआ था. उनके पिता का नाम सीताराम तिवारी और माता का नाम जगरानी देवी था. आजाद ने एक क्रांतिकारी नेटवर्क चलाया और अंग्रेजों के हाथों कभी न पकड़े जाने का संकल्प लिया. 1931 में पुलिस के साथ एक मुठभेड़ के दौरान वे अपने ‘आजाद’ (मुक्त) रहने के संकल्प पर खरा उतरते हुए शहीद हो गए.
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर दी दोनों सेनानियों को श्रद्धंजलि
प्रधानमंत्री मोदी ने दो महान स्वतंत्रता सेनानियों बाल गंगाधर तिलक और चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर उन्हें शनिवार को श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने तिलक और आजाद को साहस एवं देशभक्ति का प्रतीक बताया.
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, “बड़े पैमाने पर होने वाला गणेश उत्सव लोकमान्य तिलक की चिरस्थायी विरासतों में से एक है, जिसने लोगों के बीच सांस्कृतिक चेतना की भावना को प्रज्वलित किया. अपनी एक मुंबई यात्रा के दौरान मैंने लोकमान्य सेवा संघ का दौरा किया, जिसका लोकमान्य तिलक के साथ घनिष्ठ संबंध है।” उन्होंने ट्विटर पर अपने इस दौरे की तस्वीरें भी साझा कीं.
प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “मैं मां भारती के दो महान सपूतों लोकमान्य तिलक और चंद्रशेखर आजाद को उनकी जयंती पर नमन करता हूं. ये दो दिग्गज साहस और देशभक्ति के प्रतीक हैं।”
मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम की एक क्लिप भी साझा की, जिसमें उन्होंने दोनों महान स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी थी.
बाल गंगाधर तिलक के अनमोल सिद्धांत
बाल गंगाधर तिलक का सिद्धांत था की आप केवल कर्म करते जाइए, उसके परिणामों पर ध्यान मत दीजिये. महान उपलब्धियाँ कभी भी आसानी से नहीं मिलती और आसानी से मिली उपलब्धियाँ महान नहीं होतीं.. आप मुश्किल समय में खतरों और असफलताओं के डर से बचने का प्रयास मत कीजिये, वे तो निश्चित रूप से आपके मार्ग में आयेंगे ही.
- जब लोहा गरम हो तभी उस पर चोट कीजिए, आपको निश्चय ही सफलता का यश प्राप्त होगा.
- मनुष्य का प्रमुख लक्ष्य भोजन प्राप्त करना ही नहीं है, एक कौवा भी जीवित रहता है और जूठन पर पलता है.
- गर्म हवा के झोंकों में जाए बिना, कष्ट उठाये बिना, पैरों मे छाले पड़े बिना स्वतन्त्रता नहीं मिल सकती, बिना कष्ट के कुछ नहीं मिलता.
- क्या पता ये भगवान की मर्जी हो कि मैं जिस वजह का प्रतिनिधित्व करता हूँ, उसे मेरे आजाद रहने से ज्यादा मेरे दुखी होने से अधिक लाभ मिले.
- यह सत्य है कि बारिश की कमी के कारण अकाल पड़ता है, लेकिन यह भी सत्य है कि हमारे लोगों में इस बुराई से लड़ने की शक्ति नहीं है. प्रातः काल में उदय होने के लिए ही सूरज संध्या काल के अंधकार में डूब जाता है और अंधकार में जाए बिना प्रकाश प्राप्त नहीं हो सकता.. कमजोर ना बनें, शक्तिशाली बनें और यह विश्वास रखें कि भगवान हमेशा आपके साथ है
- उन्होंने कहा था की स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा.. भारत की गरीबी पूरी तरह से वर्तमान शासन की वजह से है. यदि भगवान छुआछूत को मानते हैं, तो मैं उन्हें भगवान नहीं कहूँगा.
- आपका लक्ष्य किसी जादू से नहीं पूरा होगा, बल्कि आपको ही अपना लक्ष्य प्राप्त करना पड़ेगा. कर्त्तव्य पथ पर गुलाब-जल नहीं छिड़का होता है और ना ही उस पर गुलाब उगते हैं.