हर साल कार्तिक मास में दिवाली के दुसरे दिन बाद भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है. भाई दूज बहन और भाई के अटूट रिश्ते का पर्व है. भाई और बहन एक दूसरे के पहले दोस्त होते हैं. भले ही वह अक्सर लड़ते-झगड़ते हैं लेकिन मुश्किल समय पर हमेशा एक दूसरे के साथ होते हैं. भाई बहन का रिश्ता खट्टा मीठा होता है. पापा से भाई की गलतियों को छुपाना लगभग हर बहन ने कभी न कभी किया होता है, तो वहीं बहन को स्कूल, कॉलेज या दफ्तर छोड़कर आने की जिम्मेदारी भाई पर होती है. इस वर्ष भाई बहन का पावन पर्व भाई दूज की तारीख को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. कुछ लोग 26 अक्टूबर को तो कुछ लोग 27 अक्टूबर को भाई दूज मनाने की बात कह रहे हैं. ऐसे में आइये जानते है भाई दूज की सही डेट और शुभ मुहूर्त –
भाई दूज की तारीख और शुभ मुहूर्त
हिन्दू धर्म के पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक मास की द्वितीया तिथि 26 अक्टूबर को दिन में 2 बजकर 43 मिनट से लेकर 27 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 26 अक्टूबर को ही भाई दूज का पर्व मनाना शास्त्र के अनुकूल रहेगा. इस दिन भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:14 मिनट से लेकर 12: 47 मिनट तक रहेगा. वहीं जो लोग उदया तिथि के अनुसार भाई दूज मना रहे हैं, उन्हें 27 october को दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से पहले भाई दूज मना लेना चाहिए.
शुभ मुहूर्त
26 अक्टूबर को भाई दूज मनाने के लिए शुभ मुहूर्त : दोपहर 01 बजकर 18 मिनट तक दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक
27 अक्टूबर को भाई दूज मनाने का शुभ मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक
भाई दूज की पूजा की थाली
कुमकुम, पान, सुपारी, फूल, कलावा, मिठाई, सूखा नारियल और अक्षत आदि. तिलक करते वक्त इन चीजों को पूजा की थाली में रखना ना भूलें.
भाई दूज पूजन विधि
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को घर बुलाकर तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराती हैं. इस दिन बहनें को प्रात: स्नान कर सबसे पहले अपने ईष्ट देव और भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए. इसके बाद पिसे चावल से चौक बनाए और इस चौक पर भाई को बैठाएं. भाई की हथेली पर चावल का घोल लगाएं फिर उसके ऊपर थोड़ा सा सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, सुपारी, पैसा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें. इसके बाद भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें और फिर कलावा बांधा जाता हैं. इसके बाद मिठाई से भाई का मुंह मीठा करें. इसके बाद उन्हें भोजन कराएं और पान खिलाएं. भाई दूज पर भाई को पान खिलाने से बहनों का सौभाग्य अखण्ड रहता है. तिलक और आरती के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भेंट करें और सदैव उनकी रक्षा का वचन दें. इस दिन भाई – बहन का हाथ पकड़ कर यमुना नदी में स्नान करने से यमराज अकाल मृत्यु से अभयदान प्रदान करते हैं.
भाई दूज क्यों मनाया जाता है
हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्यदेव और उनकी पत्नी छाया की दो संताने थीं, यमराज और यमुना. दोनों में बहुत प्रेम था. बहन यमुना हमेशा चाहती थीं कि यमराज उनके घर भोजन करने आया करें. लेकिन यमराज उनकी विनती को टाल देते थे. एक बार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर दोपहर में यमराज उनके घर पहुंचे. यमुना अपने घर के दरवाजे पर भाई को देखकर बहुत खुश हुईं. इसके बाद यमुना ने मन से भाई यमराज को भोजन करवाया. बहन का स्नेह देखकर यमदेव ने उनसे वरदान मांगने को कहा.
इसपर उन्होंने यमराज से वचन मांगा कि वो हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भोजन करने आएं. साथ ही मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई का आदर-सत्कार के साथ टीका करें, उनमें यमराज का भय न हो. तब यमराज ने बहन को यह वरदान देते हुआ कहा कि आगे से ऐसा ही होगा. तब से यही परंपरा चली आ रही है. इसलिए भैयादूज वाले दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है.
भाई दूज के दिन भाई का तिलक करते समय इन बातो का रखे ध्यान
भाई दूज पर भाई को तिलक लगाते समय दिशा का ध्यान रखना बहुत जरुरी होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तिलक के समय भाई का मुंह उत्तर या उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए. वहीं, बहन का मुख उत्तर पूर्व या पूर्व में होना शुभ होता है. इसके साथ ही भाई दूज पर बहन को भाई का तिलक करने से पहले कुछ खाना-पीना नहीं चाहिए.
पूजा के लिए चौक उत्तर पूर्व में बनाना उचित रहता है. पूजा का चौक तैयार करने के लिए आटे और गोबर का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके बाद भाई को चौक पर बैठाकर तिलक करना चाहिए. साथ में उसकी कलाई पर मौली बांध कर आरती उतारनी चाहिए. साथ में उसकी लंबी आयु की कामना करनी चाहिए.