पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली आठ जुलाई (शुक्रवार) यानी आज 50 साल के हो गये. गांगुली इस समय इंग्लैंड में हैं. भारतीय टीम भी वहीं है. एजबेस्टन टेस्ट में टीम इंडिया को हार मिली थी. अब भारतीय टीम वहां तीन टी20 और तीन वनडे मैचों की सीरीज खेलेगी.
भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे आक्रामक ख़िलाड़ी सौरव गांगुली को इंडिया ही नहीं बल्कि विश्व क्रिकेट में जाना पहचाना जाता है. वैसे तो सौरव गांगुली के अनेक नाम हैं, जैसे – दादा, प्रिंस ऑफ कोलकाता, बंगाल टाइगर. लेकिन सौरव गांगुली का पूरा नाम सौरव चंडीदास गांगुली है.
सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को बंगाल में एक शाही परिवार में हुआ था. इनके बड़े भाई का नाम स्नेहाशीष गांगुली था. सौरव गांगुली के बड़े भाई ही सौरव को क्रिकेट की दुनिया में लायें थे. इनके पिता का नाम चंडीदास और माता का नाम निरूपा गांगुली है, यह चंडीदास के छोटे पुत्र हैं.इनके पिता एक सफल छपाई का ब्यवसायी थे, जो कोलकाता के सबसे रईस व्यक्तियों में से थे. इनका एक संभ्रांत बचपन बिता था और इनको लोग महाराजा के उपनाम से बुलाते थे.
सौरव गांगुली की शिक्षा के बारे में कहा जाता है कि इन्होने St. Xavier’s Collegiate School Kolkata, West Bengal से शिक्षा ग्रहण की थी, उसके बाद यह क्रिकेटर बन गए. आज यह क्रिकेट की दुनिया की सबसे आमिर संस्था BCCI के अध्यक्ष हैं.
सौरव गांगुली क्रिकेट करियर
सौरव गांगुली के बारे में बताया जाता है कि यह स्कूल के दिनों से ही अपने बल्ले की धमक को दिखाना शुरू कर दिए थे, ऐसे समय बीतता गया और गांगुली बड़े होते गए, इसी दौरान इनको बंगाल की अंडर 15 टीम में उड़ीसा के खिलाफ खेलने का मौका मिला और इन्होने उस मैच में शतक जड़ डाला, बताया जाता था की इस टीम में इनको 12वें नंबर पर रखा गया था मगर मौका मिला और यह काम कर गए. यहीं से गांगुली दादा ने अपने क्रिकेट कैरियर की शुरुआत कर दी थी.
समय बीतने के बाद वर्ष 1996 में सौरव गांगुली का चयन इंग्लैंड दौरे के हो गया जहाँ इन्होने टेस्ट और वन डे मैच दोनों खेले इस दौरान सौरव को सिर्फ एक वन डे मैच में खेलने का मौका मिला, जहां इन्होने एक मैच में 46 रन बनाए थे. बाद में इनकी असल चुनौती टेस्ट मैच था, बाद में इनको 20 जून 1996 को इंग्लैंड के ऐतिहासिक लॉर्ड्स के मैदान पर अपने टेस्ट कैरियर का आगाज करने का मौका मिला जो एक ऐतिहासिक पल बनकर दुनिया के सामने आया इस मैच में गांगुली ने 131 रनों की शानदार पारी खेली थी. इसी के साथ गांगुली ने एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया, यह पहले दो टेस्ट मैचों में दो सेंचुरी बनाने वाले दुनिया के तीसरे बल्लेबाज बन गए.
सौरव गांगुली के क्रिकेट करियर का सबसे शानदार वर्ष
गांगुली के क्रिकेट कैरियर का सबसे शानदार समय था वर्ष 1999, वर्ष 2000 और वर्ष 2004, 1999 सौरव गांगुली ने न्यूजीलैंड के विरुद्ध खेले गए पांच वन डे मैचों की श्रृंखला और पेप्सी कप दोनों में ‘मैन ऑफ़ दी सीरीज’ का ख़िताब जीता थ. वर्ष 2000 का वह वक्त आया जब भारतीय टीम पर मैच फिक्सिंग का साया मंडराने लगा था, उस समय सचिन कप्तानी छोड़ दिए और गांगुली को इंडिया टीम का कप्तान बनाया गया और वर्ष 2004 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंचने में गांगुली का काफी योग्यदान रहा था.
सौरव गांगुली से जुडी रोचक जानकारी
- राहुल द्रविड़, लक्ष्मण, युवराज सिंह, जहीर खान और हरभजन सिंह जैसे युवा खिलाड़ी इनके समय में ही फेमस हुए थे.
- एक बार गांगुली को भारतीय टीम के कोच ग्रेग चैपल के साथ मनमुटाव के कारण टीम से बार-बार बाहर होना पड़ा था.
- बाद में सौरव गांगुली ने आईपीएल टूर्नामेंट में कोलकाता की टीम केकेआर से खेलना शुरू कर दिया था.
- इनको भारत सरकार ने वर्ष 2004 में पद्म श्री अवार्ड से सम्मानित किया था.
सौरव गांगुली अवार्ड और सम्मान (Sourav Ganguly Awards)
सौरव गांगुली को अपने क्रिकेट करिअर में बहुत से अवार्ड्स और सम्मान मिले जिसमे कुछ ख़ास इस प्रकार हैं:
- अर्जुन पुरस्कार – 1998
- स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ़ दी ईयर – 1998
- बंगा विभूषण पुरस्कार – 2013
- पद्म श्री पुरस्कार – 2004