Monday, March 27, 2023
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Chhello Show Review: जानें कैसी है ऑस्कर के लिए भारत की ऑफिशियल एंट्री वाली फिल्म

RRR जैसी फिल्मों को पीछे छोड़ते हुए गुजराती भाषा की फिल्म छेलो शो (द लास्ट फिल्म शो) को ऑस्कर अवॉर्ड्स में भारत की ओर से नॉमिनेशन किया गया है. पैन नलिन (नलिनकुमार रमणीकलाल पंड्या) इस फिल्म के डायरेक्टर हैं और इससे पहले वो सम्सारा और ऐंग्री इंडियन गॉडेसेज़ जैसी फिल्में बना चुके हैं. यह फिल्म एक ऐसी फिल्म है जो हर फिल्म देखने वाले के दिल को छूने का माद्दा रखती है. फिल्म देखने के बाद यह साफ हो जाता है कि क्यों आखिर हिट से हिट फिल्म को पछाड़कर भारत की तरफ से यह फिल्म ऑस्कर के लिए गई थी. फिल्म में थिरकने को मजबूर करने वाले गाने नहीं हैं, बड़ी स्टार कास्ट नहीं है, बहुत ग्लैमर नहीं है, लेकिन बावजूद इसके यह फिल्म बहुत खास है. आइये जाने कैसी है फिल्म की रिव्यू-

क्या है फिल्म की कहानी

छेलो शो गुजरात के एक छोटे से गांव चलाला में रहने वाले नौ साल के बच्चे समय(भाविन राबरी) की कहानी है. फिल्म का बैकड्रॉप उस वक्त का है, जब प्रॉजेक्टर के जरिए फिल्मों को थिएटर पर दिखाया जाता था. स्टेशन के किनारे बसे एक चाय के दुकानदार दीपेन रावल का बेटा, जिसे बचपन से आइडियल बॉय बनने पर जोर दिया जाता है ताकि पढ़-लिखकर वो घर के हालात बदल सके. हालांकि उसके सपने अलग हैं, क्योंकि वो खुद अलग है. आइडियल बॉय की कैटिगरी में मिस फिट समय को फिल्मों से प्यार है. अपने दोस्तों संग छुपकर फिल्में देखने जाता है. बिना टिकट के फिल्म देख रहे सयम को जब थिएटर से बाहर निकाला जाता है, तो उसे साथ मिलता है, सिनेमा प्रॉजेक्टर चलाने वाले टेक्निशियन फजल (भावेश श्रीमाली) का.

रिश्वत के रूप में फजल को खाने का लालच देकर समय थिएटर के प्रॉजेक्शन बूथ में एंट्री कर लेता है. यहां से शुरू होती है समय और फजल की एक अनोखी बॉन्डिंग. समय रोजाना खाना लाता और फजल उसे फिल्में दिखाता. समय छिपकर सिनेमा की जादूई दुनिया में खो जाता है. हालांकि फजल से सीखी चीजों से समय अपनी गैंग संग मिलकर टूटी साइकिल, परदे, बल्ब, मिरर जैसी कई चीजों का इस्तेमाल कर अपनी दुनिया वाली थिएटर बनाने की कोशिश में लग जाता है. दोस्तों संग समय के खुराफाती दिमाग की उपज उसकी अपनी सिनेमाई गैलेक्सी पिता को हैरान कर देती है. समय को उस दिन धक्का लगता है, जब थिएटर में टेक्नोलॉजी के आ जाने के बाद फजल को नौकरी से निकाल दिया जाता है.  उसके बाद कहानी एक ऐसा मोड़ लेती है, जिसे देखकर आप अपने इमोशन पर काबू नहीं रख पाते हैं.

छेलो शो मूवी रिव्यू

छेलो शो फिल्म की कहानी एकदम सादी है इस फिल्म के जरिये आप भारतीय सिनेमा का एक युग जीते है बचपन की वो मासूमियत और सादगी आपको पूरे वक्त मुस्कुराते रहने पर मजबूर करती है. फिल्म में एक कमाल का सादापन है जो आपके दिल को छू जाता है. जिस तरह के सीन और बैकग्राउंड म्यूजिक का इस्तेमाल हुआ है वो बहुत कमाल का है. हर एक कलाकार ने अपना काम बखूबी किया है और कहना होगा कि डायरेक्शन के मामले में नलिन ने अपना बेस्ट दिया है. फिल्म के जरिए उन दिग्गजों को सलाम किया गया है जिन्होंने सिनेमा को वहां पहुंचाया जहां ये आज है.

देखे या ना देखे

अगर आप यह् सोच रहे रहे ही कि ये फिल्म देखने जाए ना जाए तो आपको बता दे कि अगर आपको थिरकने के लिए मजबूर कर देने वाला म्यूजिक, ग्लैमर, हीरोइज्म, दमदार एक्शन, रोमांस या ड्रामा देखना है तो ‘लास्ट फिल्म शो’ देखने ना जाय. लेकिन आप अगर कुछ अलग देखना चाहते है तो आपको यह फिल्म जरुर देखनी चाहिए. कुल मिलाकर यह एक बहुत खूबसूरत और कमाल की फिल्म है. एक स्टडी के तौर पर भी ऐसी फिल्में याद रखी जाएगी. तंगहाली में भी एक बच्चे का फिल्म के प्रति जुनूनियत और पैशन इसे बाकी फिल्मों से अलग करती है. फिल्म को भारत की ओर से ऑस्कर के लिए भेजा गया है, ऐसे में एक चांस तो ऐसी फिल्म के लिए बनता है.

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