कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है और तुलसी विवाह भी होता है. ये एकादशी दिवाली के बाद आती है. इस दिन विधि -विधान से भगवान कृष्ण की पूजा करने से आर्थिक संकट दूर होता है. और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस दिन विष्णु भगवान क्षीरसागर में चार माह के शयन के बाद जगे थे. इस दिन से विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरु हो जाते हैं.
देवउठनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 3, 2022 को 7:30 pm बजे
- एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 4, 2022 को 6:8 pm बजे.
- उदया तिथि के अनुसार, देवउठनी एकादशी का व्रत 4 नवम्बर को रखा जाएगा.
देवउठनी एकादशी 2022 व्रत पारण का मुहूर्त
देवउठनी एकादशी व्रत पारण तिथि 5 नवंबर शनिवार सुबह 6:39 से लेकर सुबह 8:52 बजे तक.
देवउठनी एकादशी पूजा विधि
- एकादशी व्रत के दिन ब्रम्ह मुहूर्त में उठकर स्नान करे.
- भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें.
- रात में घर के बाहर और पूजा घर में दीपक जलाए.
- शाम की पूजा में सुभाषित स्त्रोत पाठ, भगवत कथा और पुराणादि का श्रवण व भजन आदि गाये.
- रात के समय विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करे और मीठे का भोग लगाए.
- इसके बाद भगवान को शंख, आदि बजाकर उठाया जाता है.
देवउठनी एकादशी पर होता है तुलसी विवाह
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है. देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह बड़ी ही धूमधाम से की जाती है. इस दिन तुलसी विवाह करने से कन्यादान पुण्य की प्राप्ति होती है. और इसी दिन से सभी मांगलिक कार्य, जैसे विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश क्रिया, उपनयन संस्कार फिर शुरू हो जाते हैं.
देवउठनी एकादशी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माँ लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से पूछा की हे स्वामी आप दिन और रात जागते हैं और सोते हैं, तो कई वर्षों तक सोते रहते हैं. इसलिए आप हर वर्ष एक अवधि में विश्राम किया करिए. लक्ष्मी माँ की बात सुनकर भगवान विष्णु बोले कि हे देवी तुम सही कह रही हो. अब मैं हर वर्ष चार माह शयन करूंगा. इस दौरान, जो भी भक्त मेरी पूजा करेंगे उनका उत्थान होगा. इसलिए इसे देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है. इस कथा के अनुसार, आषाढ़ शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) के दिन भगवान विष्णु चार महीनों के लिए सोते हैं और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) के दिन जागते हैं.