Monday, March 27, 2023
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Doctor G Film Review: बिखरी सी लगती है ‘डॉक्टर जी’ की कहानी, मिसिंग है ‘आयुष्मान टच’

बॉलीवुड इंडस्ट्री के एक्टर आयुष्मान खुराना अक्सर अपने अलग फिल्मो की स्क्रिप्ट के लिए जाने जाते हैं. अपनी नयी मूवी  डॉक्टर जी में भी आयुष्मान ने कुछ अलग स्क्रिप्ट दर्शको के सामने रखने का प्रयास किया है. आपको बताते चले यह आयुष्मान खुराना की पहली ऐसी फिल्म है जिसे ए सर्टिफिकेट मिला है. आइये जाने आयुष्मान का यह एक्सपेरिमेंट कितना सक्ससेफुल रहा

क्या है डॉक्टर जी फिल्म की कहानी

फिल्म डॉक्टर जी के मुताबिक डॉक्टर उदय गुप्ता (आयुष्मान खुराना) भोपाल से मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. वह अपनी मां लक्ष्मी देवी (शीबा चड्ढा) के साथ रहता है, जबकि उसके पिता उसके पैदा होने से पहले ही गुजर चुके हैं. बचपन से उदय का सपना अपने कजिन भाई की तरह ऑर्थोपेडिक डॉक्टर बनने का है, लेकिन रैंक कम आने के चलते उसे गाइनेकॉलजी ब्रांच लेनी पड़ती है. हाल ही में अपनी पहली गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप के बाद मेडिकल कॉलेज पहुंचे उदय की मुलाकात फातिमा (रकुलप्रीत सिंह) से होती है.

हालांकि, फातिमा की शादी पहले से ही आरिफ से तय हो चुकी होती है, बावजूद इसके उदय उसको चाहने लगता है. हालांकि उदय की ऑर्थोपैडिक ब्रांच लेने की चाहत अभी भी कम नहीं होती और वह अगले साल ज्यादा नंबर लाकर गाइनेकॉलजी से निकलने की तैयारियों में जुटा रहता है. लेकिन उसकी सीनियर डॉक्टर नंदिनी श्रीवास्तव (शेफाली शाह) उसे गाइनेकॉलजी में मेहनत करके इसी में अपना फ्यूचर बनाने की सलाह देती है. गर्लफ्रेंड और करियर की चुनौतियों से जूझ रहा उदय घर पर अपनी मां से भी परेशान रहता है, जो कि अकेलेपन के चलते कभी यूट्यूब चैनल पर रेसिपी के विडियो अपलोड करती है, तो कभी डेटिंग वेबसाइट पर अपने लिए साथी तलाशती है. इसी बीच उसकी जिंदगी में एक भूचाल आता है, जो कि उसे पूरी तरह बदल देता है.

मूवी रिव्यु

डायरेक्शन

फिल्म डॉक्टर जी का डायरेक्शन अनुभूति कश्यप ने किया है ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर, देव डी जैसी फिल्मों की असिस्टेंट डायरेक्टर रह चुकीं डॉक्टर जी डायरेक्शन में अपना कैरियर शुरू कर रही है, अनुभूति ने इस फिल्म के जरिए एक अलग कहानी चुनी है लेकिन स्क्रिनप्ले और कहानी के बिखराव की वजह से फिल्म से आप ज्यादा कनेक्ट महसूस नहीं कर पाते हैं. इंटरवेल के पहले फिल्म बहुत ही लम्बी महसूस होती है,  सेकेंड हाफ पहले की तुलना में बेहतर लगता है. कहानी में कुछ इंट्रेस्टिंग मोड़ आते हैं जिसमें आपकी थोड़ी बहुत दिलचस्पी जगती है. ओवरऑल दो घंटे का टाइमफ्रेम होने के बावजूद फिल्म में भारीपन लगता है. दरअसल इसका सबसे बड़ा ड्रॉ-बैक यही है कि किसी एक टॉपिक पर फोकस न होकर कई और मुद्दों को जबरदस्ती घुसाने की कोशिश की गई है. मसलन एक लड़के का गाइनो डिपार्टमेंट में होता स्ट्रगल, सिंगल मां की ख्वाहिशें, जेंडर इन-इक्वालिटी, रैगिंग, मेल टच(इगो) आदि कई पहलुओं को टच करती फिल्म किसी एक खास मुद्दे पर आकर नहीं रुकती है और यही वजह से कि आप फिल्म से कनेक्शन बना पाने में हेल्पलेस महसूस करने लगते हैं.  

एक्टिंग

डॉक्टर जी में आयुष्मान खुराना की एक्टिंग जबरजस्त है. वो अपने रोल यानी डाक्टर के किरदार में फब रहे है आयुष्मान की एक खासियत है कि जब आप उन्हें पर्दे पर देखते हैं तो आप आयुष्मान को नहीं उस किरदार को देखते हैं और महसूस करते हैं. यहां भी कोई हीरोपंती नहीं है. कोई कूद फांद नहीं है. सब रियल लगता है और आप उससे कनेक्ट करते हैं. शेफाली शाह आयुष्मान की सीनियर बनी हैं और उन्हें देखकर यही लगता है कि वो कोई सीनियर डॉक्टर ही हैं. उनका काम परफेक्ट है चेहरे पर सख्ती का भाव शेफाली ने अच्छे से दिखाया है. रकुल प्रीत सिंह भी डॉक्टर के किरदार में हैं और खूब जमी हैं. यहां लव स्टोरी का ट्रैक भी जरा अलग है तो रकुल का एक नया अंदाज भी दिखा है. शीबा चड्ढा आयुष्मान की मां के किरदार में हैं और उन्होंने गजब की एक्टिंग है. क्या बड़ी उम्र की महिलाओं को अपनी जिंदगी जीने का हक नहीं है. इस सवाल को उन्होंने उठाया है और बखूबी उठाया है. 

देखे की ना देखे फिल्म

अगर आप त्यौहार के इस मौसम में बढ़िया कॉमेडी फिल्म इंजॉय लेना चाहते हैं, तो सिनेमा में ‘डॉक्टर जी’ से मिलने का टिकट कटा लें. इसके अलावा अगर आप आय़ुष्मान खुराना जोनर की फिल्मों के फैन हैं तो इसे मिस मत कीजिएगा.

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