Monday, March 27, 2023
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Draupadi Murmu Personal Life : दुखो से भरी रही जिंदगी फिर भी टूटी नहीं द्रौपदी मुर्म

आज भारत को अपना 15वा राष्ट्रपति मिल गया. राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान हुआ था. आज यानि गुरुवार को संसद भवन में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतगणना हो रही थी. एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू हैं, जिनका मुकाबला विपक्ष के यशवंत सिन्हा से था. देश को अपनी दूसरी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म के रूप में मिली. द्रौपदी मुर्मू से पहले श्रीमती प्रतिभा पाटिल को देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त हुआ था. द्रौपदी मुर्मू केवल दूसरी महिला राष्ट्रपति ही नहीं, बल्कि देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति भी बन गयी है. द्रौपदी मुर्म का पूरा जीवन दुखो और तकलीफों से भरा हुआ था. लेकिन वो टूटी नहीं आइये जानते है उनके जीवन के बारे में –

कच्चे घास फूँस के घर से हुई जीवन की शुरुआत

कोई भी शख्स इतने बड़े पद पर यूं ही नहीं पहुंच जाता. उसे जीवन में कई तकलीफों से गुजरना पड़ता है. कुछ इसी तरह की परेशानियों का सामना करने के बाद मुर्मू भी यहां तक पहुंची हैं. एक जानकारी के अनुसार जिस समय द्रौपदी मुर्मू शादी करके ससुराल पहुंची थीं तो उस वक्त उनका घर भी कच्चा था. कच्ची दीवारें और फूंस का छप्पर था. 

कॉलेज में हुआ प्यार और बाद में शादी

कॉलेज के समय में ही द्रौपदी मुर्म की मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई थी. दोनों में दोस्ती हुई जो कब प्यार में बदल गई वे समझ ही नहीं पाये. श्याम चरण भी उस समय भुवनेश्वर के एक कॉलेज में पढाई कर रहे थे. दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे और एक साथ जीवन बिताने का मन बना चुके थे. लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी द्रौपदी के पिता शादी के लिए तैयार नहीं हुए. जब बात नहीं बनी तो श्याम चरण तीन दिनों तक द्रौपदी के गांव में डेरा जमाकर बैठ गए, आखिरकार द्रौपदी के पिता बिरंचि नारायण ने शादी के लिए हाँ कर दी.

द्रौपदी मुर्म पर टुटा दुखो का पहाड़

कॉलेज के समय में ही द्रौपदी मुर्म की मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई थी. बाद में दोनों ने शादी कर ली. दोनों के कुल तीन बच्चे, दो बेटे और एक बेटी हुए. वो पुरे परिवार के साथ खुश थी. लेकिन अचानक से उनकी पूरी लाइफ ही बदल गयी. उनको जीवन का सबसे बड़ा दुःख अपनी शादी के कुछ दिन बाद ही मिल गया था. क्योंकि उनकी पहली औलाद उन्हें 3 साल की उम्र में छोड़कर चली गई थी. यह घटना साल 1984 की है. मुर्मू की पहली संतान एक बेटी थी.

साल 2009 जब द्रौपदी मुर्मू को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब उनके बड़े बेटे की एक रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई. उस दौरान उनके बेटे की उम्र केवल 25 वर्ष थी. ये सदमा झेलना उनके लिए बेहद मुश्किल हो गया. इसके बाद वर्ष 2013 में उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई, फिर 2014 में उनके पति का भी देहांत हो गया. यह समय मुर्मू के लिए बड़ा ही दुखदाई था.

मुर्मू के लिए खुद को संभाल पाना बेहद मुश्किल हो गया था. वो मेडिटेशन करने लगी. 2009 से ही मेडिटेशन के अलग अलग तरीके अपनाए. लगातार माउंट आबू स्थित ब्रहमकुमारी संस्थान जाती रही.

आँखों का किया है दान 

महज 5 साल के अंदर द्रौपदी मुर्म ने दो बेटों और पति को खोकर बेहद टूट गई थीं. उन्होंने अपने घर को दान कर उसे स्कूल में बदल दिया. एक कार्यक्रम में अपनी आंखें दान करने का ऐलान भी कर चुकी हैं. मुर्मू के परिवार में अब उनकी बेटी इतिश्री और दामाद गणेश हेम्ब्रम का परिवार है. इतिश्री ओडिशा में ही एक बैंक में कार्यरत हैं.

कैसी है द्रौपदी मुर्मू की दिनचर्या आइये जाने

एक रिपोर्ट के अनुसार, द्रौपदी मुर्मू एक साधारण और व्यवस्थित जीवन जीती हैं. वह कितनी भी व्यस्त क्यों न हों, लेकिन सुबह जल्दी उठकर सैर करना, ध्यान और योग करना कभी नहीं भूलतीं. द्रौपदी मुर्म प्रतिदिन सुबह 3:30 बजे उठ जाती हैं. इसके बाद वह सैर पर जाती हैं. घर पर ही योग करती हैं. समय को लेकर मुर्मू बहुत पाबंद हैं. ऐसा कहा जाता है कि मुर्मू कभी देरी से नहीं पहुंचतीं.

द्रौपदी मुर्मू के पास अक्सर दो किताबें होती हैं. एक ट्रांसलेट और दूसरी भगवान शिव की एक पुस्तिका. वह कही भी रहे अगर कोई बात का अनुवाद करने में दिक्कत हो तो वो किताब से पढ़ लेती है.

मौसी ने द्रौपदी मुर्म के बारे मे कहा

राष्ट्रपति चुनाव के नतीजो से पहले द्रौपदी मुर्मू की मौसी ने कहा कि, “हमारे समय में, हम लड़कियों को हमेशा कहा जाता था कि तुम पढ़कर क्या करोगे. लोग उससे पूछते थे कि वह क्या कर पाएगी. अब उसने उन्हें साबित कर दिया कि वह क्या कर सकती है.” उन्होंने कहा, “मुर्मू ने साबित कर दिया कि महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं. वह हमेशा एक अध्ययनशील व्यक्ति थीं. हमारे पास उनके साथ बहुत सारी यादें हैं. मैं उनकी मौसी हूं, हालांकि मैं उनसे छोटी हूं. मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है. मैं उनकी कहानी के माध्यम से सोचता हूं, सभी को यह सीखना चाहिए कि महिलाएं कम नहीं हैं और कुछ भी हासिल कर सकती हैं,”

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