2015 में आई हिट फिल्म ‘दृश्यम’ का पार्ट टू ‘दृश्यम 2’ सिनेमाघरों में रिलीज हो गयी है. इस फिल्म की शूटिंग इसी साल के फरवरी में शुरू हुई थी. इस फिल्म का पहला भाग दृश्यम 2013 में आई दृश्यम नाम की ही मलयालम फिल्म का रीमेक थी. लेकिन इसका हिन्दी वेरिजन भी लोगो को अपना दीवाना बनाने में कामयाब रहा यानि कि हिंदी में भी ‘दृश्यम’ हिट रही और अब ‘दृश्यम 2’ भी उसी राह पर है. दृश्यम 2 भी मलयालम फिल्म दृश्मय 2 का रीमेक है जो 2021 में आई थी. आइये जानते है अजय देवगन के इस मूवी को दर्शको ने क्या रिव्यू दिया है
क्या है फिल्म दृश्यम 2 की कहानी
अगर आपने फिल्म दृश्यम देखी है तो गोवा में रहने वाले विजय सलगांवकर, उनकी फैमिली और 2 अक्टूबर को उनके साथ हुए हादसे के बारे में आप जानते होगे बस ‘दृश्यम 2’ सात साल बाद उसी स्टोरी को आगे बढ़ाती है. विजय का परिवार आज भी सहम कर जिन्दगी जी रहा है. विजय इस बीच केबल ऑपरेटर से एक थिएटर का मालिक बन चुका है लेकिन अब वह सोसायटी से दूरी बनाकर रखता है.
फिल्मों का शौकीन विजय अब फिल्म प्रोड्यूस करने का मन बनाता है इसी विषय में कहानी को लेकर उसकी मुलाकात एक जाने-माने डायरेक्टर (सौरभ शुक्ला) से होती है. हालांकि विजय अपनी लिखी फिल्म के क्लाइमैक्स से खुश नहीं है. जिसके ड्राफ्ट पर दोबारा काम कर रहा है.
परन्तु दूसरी ओर सात साल पहले 2 अक्टूबर को हुए हादसे के बाद से विजय का परिवार सदमे में है उनकी बड़ी बेटी अंजू (इशिता दत्ता) को जहां एंजायटी अटैक आते हैं, तो वहीं मां नंदनी सलगांवकर (श्रेया सरन) भी अक्सर पुलिस को देखकर घबरा जाती है. गोवा में एसपी तरुण अहलावत (अक्षय खन्ना), जो मीरा(तब्बू) के दोस्त भी हैं, का तबादला हुआ है. अक्षय के आने के बाद केस का रिओपन होता है और पुलिस दोबारा लाश को खोजने में लग जाती है. इस बार पुलिस पूरी तैयारी के साथ विजय और उसके परिवार को पकड़ना चाहती है. जहां उन्हें डेविड (सिद्धार्थ बोडके) के रूप में एक अहम सुराग मिलता है. दोबारा क्रिमिनल इनवेस्टिगेशन में फंसे इस परिवार के लिए क्या विजय हीरो साबित हो पाते हैं? क्या पुलिस को बॉडी मिल पाती है? डेविड के पास क्या राज है? पुलिस और विजय की दिमागी जंग में आखिर कौन जीतता है?
कैसी है एक्टिंग
2015 में आई फिल्म दृश्यम के सबसे बेस्ट किरदार अजय देवगन थे. तो आप जान गए होगे कि इस बार भी फिल्म की जान अजय देवगन ही है. अजय की एक्टिंग ने फिल्म लेवल ही एकदम हाई कर दिया है. विजय के किरदार में इस बार वो और भी जबरदस्त लगे हैं. उन्हें देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा कि सालों बाद वो इस किरदार को निभा रहे हैं.
अक्षय खन्ना का फिल्म में नई एंट्री हैं और वो भी अपने किरदार में एकदम घुल मिल गए हैं. वे फिल्म में नया ट्विस्ट लेकर आते हैं. तब्बू और रजत कपूर भी अपने किरदार में खूब जमे है. अजय की पत्नी के किरदार में श्रिया सरन भी पिछले पार्ट की तरह जमी हैं. अजय के बच्चों के किरदार में इशिता दत्ता और मृणाल जाधव का काम भी अच्छा है.
टेक्निकल रूप में कैसी बनी है फिल्म
बात अगर फिल्म के तकनीकी रूप की करे तो फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर इसकी सबसे बड़ी ताकत है. जो हर सीक्वेंस पर थ्रिल बिल्ड-अप करने में फ्यूल का काम करता है.सिनेमैटोग्राफर सुधीर के चौधरी के कई खूबसूरत शॉट ने गोवा को एक अलग नजरिया दिया है. हालांकि कुछ क्लोजअप शॉट्स के एंगल स्क्रीन पर थोड़े अजीब लगते हैं. फिल्म शुरूआत के 20 मिनट स्लो है, जिसे एडिटर संदीप फ्रांसिस थोड़ा और क्रिस्प कर सकते थे.
कैसा है फिल्म का डायरेक्शन
फिल्म दृश्यम के पहले भाग का डायरेक्शन निशिकांत कामत द्वारा किया गया था. लेकिन अब वो इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. ऐसे में अब इस फिल्म के डायरेक्शन की कमान अभिषेक पाठक के हाथ में थी. दृश्यम की सफ़लत के बाद कोविड लॉकडाउन के दौरान खाली बैठे कई सिने प्रेमियों ने इसके मलयालम वर्जन देखी है, तो जाहिर है डायरेक्टर पर प्रेशर जरूर रहा होगा. यह कहना गलत नहीं होगा कि अभिषेक ने पूरी ईमानदारी से अपने काम को अंजाम तक पहुंचाया है और उन्हें इसके लिए फुल मार्क्स दिए जाने चाहिए.
फिल्म देखे की ना देखे
अब हम आपको बता दे कि अगर आपने मलयालम फिल्म देखी है या फिर आपने इसी फिल्म का फर्स्ट पार्ट देखा है तो आपको यह फिल्म देखने जरुर जाना चाहिए. यह फिल्म थियेटरो में आपको बोर नहीं करेगी बल्कि इस फिल्म का संस्पेंस और अजय देवगन और अक्षय खन्ना के साथ साथ तब्बू की माँ के रूप में एक्टिंग आपको क्लाइमेक्स तक आपको बांधे रखेगी.