Friday, November 18, 2022
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Ganesh Chaturthi 2022: कैसे हुआ था श्री गणेश का जन्म? बहुत रोचक है यह कथा, पढ़ने मात्र से दूर होते हैं सारे संकट

हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को प्रथम पूज्य देव गणपति का जन्म उत्सव मनाया जाता है यह उत्सव दस दिन तक चलता है. गणेश चतुर्थी से अगले 10 दिनों तक भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापना कर पूजा अर्चना की जाती है. गणेश जन्म की कथा बड़ी ही रोचक है आइये जाने क्या है कहानी

गणेश चतुर्थी की कथा

शिवपुराण के अनुसार भगवान गणेश का जन्म माता पार्वती के उबटन से हुआ था. इस कहानी के अनुसार, देवी माता एक बार हल्दी का उबटन लगाई थी. कुछ देर के बाद उन्होंने  उबटन को उतार कर एक पुतला बनाया. उसके बाद उस पुतले में प्राण डाले. इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ. माता पार्वती ने लंबोदर को द्वार पर बैठा दिया और बोली कि किसी को भी अंदर मत आने देना. कुछ देर के बाद महादेव आए और घर जाने लगे. इस पर गणेश भगवान ने उन्हें रोक दिया. इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणपति की गर्दन काट दी.

Ganesh Chaturthi 2022

जब मां पार्वती ने गणपति की हालत देखा तो वह विलाप करने लगी और महादेव से बोली कि आपने मेरे पुत्र का सिर क्यों काट दिया. भोलेनाथ के पूंछने पर माता पार्वती ने सारी बात बताई और बेटे का सिर वापस लाने को कहा. तब भोलेनाथ ने कहा कि इसमें मैं प्राण तो डाल दूंगा परंतु सिर की जरूरत होगी. तभी भोलेनाथ ने कहा कि हे गरुड़ तुम उत्तर दिशा की ओर जाओ और जो मां अपने बेटे की तरफ पीठ करके लेटी हो, उस बच्चे का सिर ले आओ. गरुड़ काफी समय तक भटकते रहे. आखिरी समय में एक हथिनी मिली जो अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी. गरुड़ उस बच्चे का सिर ले आए. भगवान भोलेनाथ ने वह सिर गणेश के शरीर से जोड़ दिया और उसमें प्राण डाल दिए.

गणेश जी की आरती

देवो में भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव हैं. भगवान श्री गणेश की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. वह सभी विघ्नों को हरने वाले है भाद्रपद गणेश चतुर्थी को गणेश मूर्ति स्थापना कर उनकी पूजा करने के बाद आरती जरुर करे ऐसा करने से आपकी सारी बाधाए दूर हो जायेगी 

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,

माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी। 

पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,

लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।। ..

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया। 

‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।। 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा .. 

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा। 

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। 

कामना को पूर्ण करो जय बलिहारी।

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