गामा पहलवान ऐसा नाम जो भारत में महान पहलवान और ‘रुस्तम-ए-हिंद’ के नाम से मशहूर है | इसके अलावा उन्हें ‘द ग्रेट गामा’ के नाम से भी जाना जाता है | आज इन्ही ‘रुस्तम-ए-हिंद’ का 144वां जन्मदिन है और गूगल ने डूडल बनाकर उनके जन्मदिन को और भी खास बनाया है | गामा पहलवान ने अपने जीवन के 50 साल कुश्ती को दिए और कई खिताब जीते |
गामा पहलवान का जन्म
गामा पहलवान के जन्म को लेकर विवाद है | क्योंकि कुछ रिपोर्ट बताती हैं कि उनका जन्म मध्यप्रदेश के दतिया में हुआ था | और कुछ लोग यह मानते है की उनका जन्म 22 मई 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में हुआ था | गामा पहलवान की लंबाई 5 फीट 7 इंच और वजन लगभग 113 किलो था | उनके पिता का नाम मुहम्मद अजीज बक्श था | बताया जाता है कि गामा ने 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी |
गामा पहलवान ने शुरुआत में कुश्ती के दांव-पेच पंजाब के मशहूर ‘पहलवान माधो सिंह’ से सीखे | इसके बाद मध्य प्रदेश में दतिया के महाराजा भवानी सिंह ने उन्हें पहलवानी करने की सुविधाएं दीं | साल 1947 तक गामा पहलवान ने अपने हुनर से भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन कर दिया था | हालांकि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय गामा पहलवान अपने परिवार के साथ लाहौर चले गए थे |
गामा अपने 52 साल के करियर में कभी कोई मुकाबला नहीं हारे। गामा ने अपनी आखिरी फाइट 1927 में लड़ी। इसमें उनका मुकाबला स्वीडन के पहलवान जेस पीटरसन से था। गामा ने इसमें पीटरसन को हरा दिया कुश्ती छोड़ने के बाद उन्हें अस्थमा और हृदय रोग की शिकायत हुई और उनकी हालत खराब होती गई | बताया जाता है कि उनके पास इतनी आर्थिक तंगी आ गई थी कि आखिरी समय में उन्हें अपनी मेडल तक बेचना पड़े थे | लंबी बीमारी के बाद आखिरकार 23 मई 1960 में 82 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया |
गामा पहलवान के खिताब
गामा पहलवान ने अपने करियर के दौरान कई खिताब हासिल किए, जिसमें 1910 में वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप का इंडियन वर्जन और 1927 में वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप शामिल हैं |
वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप के बाद उन्हें टाइगर की उपाधि से भी नवाजा गया | प्रिंस ऑफ वेल्स ने अपनी भारत यात्रा के दौरान महान पहलवान को सम्मानित करने के लिए एक चांदी की गदा भेंट की |
गामा पहलवान की एक्सरसाइज और डाइट
ऐसा कहा जाता है की गामा पहलवान रोजाना 10 लीटर दूध पिया करते थे | इसके साथ ही 6 देसी मुर्गे भी उनकी डाइट में शामिल थे | साथ ही वे एक ड्रिंक बनाते थे जिसमें लगभग 200 ग्राम बादाम डालकर पिया करते और 100 रोटी खाते थे।ऐसा बताया जाता है की 23 दिसंबर 1902 को 1200 किलो के पत्थर को गामा पहलवान ने उठा लिया था | गामा पहलवान दिन में 5000 उठक-बैठक और 1 हजार से ज्यादा दंड लगाते थे। इसके अलावा वो रोज अपने गले से 54 किलो का पत्थर बांधकर 1 किलोमीटर तक भागा भी करते थे |