ग्रैंड पेरेंट्स डे हमेशा मजदूर दिवस के बाद पहले रविवार को मनाया जाता है. इस साल ये खास दिन रविवार यानि 11 सितंबर को है. परिवार की जड़ दादा-दादी हैं. उनके पास जानकारी अनुभव और ज्ञान का खजाना है. दादा दादी जीवन की गतिशीलता को अच्छे से समझते हैं और युवा पीढ़ी को सीखने और विकसित करने में मदद करते हैं. वहीं दादा-दादी बच्चों के साथ बच्चे भी बन जाते हैं. उनके सबसे अच्छे दोस्त होते हैं. दादा दादी के साथ बिताया गया हर एक पल हर किसी के लिए यादगार होता है. बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए दादा का योगदान बेहद जरूरी होता है. विज्ञान भी इस चीज को मानता है कि जो बच्चे अपने दादा दादी के साथ पलते बढ़ते हैं उनका व्यवहार और बच्चों से अलग होता है. ग्रैंड पेरेंट्स डे पर बच्चे अपने दादा दादी के प्रति अपने लगाव व प्रेम को प्रदर्शित करते हैं.
क्यों मनाया जाता है ये दिन
अमेरिका में मैरियन मैकुडे नाम की एक दादी थीं, जिनके 43 ग्रैंड चिल्ड्रन थे. दादी चाहती थीं कि ग्रैंड पैरेंट़्स और ग्रैंड चिल्ड्रन की बीच आपसी संबंध बढ़िया होने चाहिए. सभी एक दूसरे के साथ समय बिताएं. इसके लिए उन्होंने 1970 में एक अभियान छेड़ा था. वे इस दिन को नेशनल हॉलीडे बनाना चाहती थीं, ताकि सभी बच्चे अपने दादा-दादी, नाना-नानी के साथ समय बिताएं. वो चाहती थीं कि बच्चों और बड़ों के बीच जनरेशन गैप खत्म हो जाए. मैरियन मैकुडे ने 9 साल तक ये अभियान चलाया. जिसके अमेरिका के तत्कालीन प्रेसिडेंट जिमी कार्टर ने 1979 को ग्रैंड पैरेंट्स डे घोषित किया. सबसे पहले एज यूके नाम की एक चैरिटी ने 1990 में ग्रैंड पैरेंट्स डे मनाया.
दादा-दादी दिवस का महत्व | Grandparents Day Significance
दादा-दादी ने बच्चों के जीवन में विशेष रूप से उनकी कम उम्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यह फैक्ट से भी सिद्ध होता है कि जब दादा-दादी और नाती-पोते एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं तो यह दोनों को खुश रखने में मदद करता है. सेवानिवृत्ति की उम्र में दादा-दादी सभी कामों से मुक्त हो जाते हैं, लेकिन उनके बुढ़ापे के कारण जाहिर है कि वे अपने जीवन का आनंद नहीं ले सकते हैं जैसे वे छोटे में लेते थे, इसलिए अपने पोते-पोतियों के साथ खेलना और उन्हें निहारना सबसे अधिक पसंद करते हैं.