हर वर्ष हरितालिका तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की, तृतीया तिथि को रखा जाता है. यह व्रत अविवाहित कन्याओ द्वारा सुयोग्य वर पाने और विवाहित महिलाओं द्वारा सुखी दांपत्य जीवन और अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है. इस दिन विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस वर्ष यह महाव्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा. आइये जानते है इस व्रत की पूजा विधि और नियम
हरतालिका तीज व्रत का शुभ मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष हरितालिका तीज व्रत तिथि 29 अगस्त 2022, सोमवार को दोपहर 03:20 बजे से प्रारंभ होकर 30 अगस्त 2022, मंगलवार को दोपहर 03:33 बजे तक रहेगा. यह व्रत उदया तिथि में 30 अगस्त 2022 को रखा जाएगा और इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल 05:58 से लेकर 08:31 बजे तक रहेगा.
हरितालिका व्रत की पूजा की सामग्री
हरतालिका तीज व्रत की पूजा करने के लिए सर्वप्रथम भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति की आवश्यकता होती है. इसके अलावा लाल वस्त्र, केले का पत्ता, जनेऊ, सुपारी, रोली, बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते, दूर्वा, कलश, नारियल, अक्षत, घी, कपूर, गंगाजल, दही शहद और 16 श्रृंगार का सामान सिंदूर, बिंदिया, मेंहदी, कुमकुम आदि.
कैसे करे हरितालिका व्रत में शिव पार्वती की पुजा
हरतालिका तीज व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में अत्यधिक शुभ एवं फलदायी मानी गई है. इस दिन स्नान करने के बाद चौकी पर एक स्वच्छ लाल रंग का वस्त्र बिछाकर माता पार्वती और महादेव की मिट्टी की प्रतिमा को केले के पत्ते पर रखें. इसके बाद एक कलश के ऊपर नारियल रखकर सबसे पहले उसकी पूजा करें. इसके बाद भगवान शिव और माता गौरी की कुमकुम, अक्षत, चावल, पुष्प, फल, मिष्ठान और सोलह श्रृंगार के सामान आदि चढ़ाकर विधिवत पूजन करें और हरतालिका व्रत की कथा पढ़ें या फिर सुनें पूजा के अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें.
हरितालिका तीज व्रत के नियम
- इस व्रत को कर रही महिलाओ या कन्याओ को तृतीया तिथि में ही भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन करना चाहिए. तृतीया तिथि में पूजा प्रदोष काल में की जाती है. चतुर्थी तिथि में पूजा मान्य नहीं, चतुर्थी तिथि में व्रत पारण किया जाता है.
- इस व्रत में सोने की मनाही होती है. व्रती महिलाओं को रातभर जागकर भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए. इस दिन व्रती महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना चाहिए.
- इस व्रत को रखते समय आपको गुस्सा नहीं होना चाहिए. अपने शांत और शीतल मन से इस व्रत को रखना चाहिए.
- व्रत रखते समय अपने से छोटे या बुजुर्गों को ऐसा कुछ ना कहे, जिससे उनका दिल दुखे. अपने पति को भी अपशब्द ना बोलें.
- इस दिन महिलाएं निर्जला और निराहार व्रत रखती हैं. इस दौरान भूलकर भी अनाज व जल ग्रहण नहीं करना चाहिए.