Saturday, November 26, 2022
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C/2017 K2 (PANSTARRS): पृथ्वी की तरफ आ रहा एक विशाल धूमकेतु, क्या पृथ्वी को है इससे  नुकसान

2017 में एक विशालकाय धूमकेतु सौर मंडल के बाहर खोजा गया था. तब से अब तक वह सिर्फ सौर मंडल में आता जा रहा है. अब सिर्फ 12 दिन ही बचे हैं जब वह धूमकेतु धरती के नजदीक आएगा. यानी 14 जुलाई 2022 को यह धूमकेतु हमारी पृथ्वी के बेहद नजदीक आ जाएगा. इसका नाम है कॉमेट सी/2017 के2 (पैनस्टार्स) (Comet C/2017 K2, PANSTARRS). इसे हम K2 धूमकेतु के नाम से बुलाते हैं. 

हबल स्पेस टेलिस्कोप ने 2017 में की थी खोज

सन 2017 में हबल स्पेस टेलिस्कोप ने इस K2 धूमकेतु को खोजा था. तब यह हमारे सौर मंडल के बाहरी छोर पर स्थित था. उस समय माना जा रहा था कि यह सबसे दूर खोजा गया धूमकेतु है. इसने मेगाकॉमेट बर्नाडिनेली-बर्नस्टीन की दूरी को पिछली साल ही पार किया था. 14 जुलाई को यह धरती से 27 करोड़ किलोमीटर दूर से निकलेगा. यानी धरती को इससे कोई खतरा नहीं है. लेकिन अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए यह हैरतअंगेज नजारा होगा.

वर्चुअल टेलिस्कोप से लाइव देख सकेगे

शाम 6:15 बजे से इसे वर्चुअल टेलीस्कोप प्रोजेक्ट के लाइव वेबकास्ट में ट्यून करके लोग ऑनलाइन देख सकेंगे. यह धूमकेतु पिछले पांच वर्षों से लगातार पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है. धूमकेतु, जो ज्यादातर जमी हुई गैसों, चट्टान और धूल से बने होते हैं, सूर्य के निकट आते ही सक्रिय हो जाते हैं. सूर्य की गर्मी धूमकेतु को बहुत जल्दी गर्म करता है, जिससे इसकी ठोस बर्फ सीधे गैस में बदल जाती है और धूमकेतु के चारों ओर एक बादल बन जाता है, जिसे कोमा के रूप में जाना जाता है.

पिछले 6 सालों से एक्टिव है यह धूमकेतु  

आपको शायद यह जानकर हैरान होगी कि K2 को जब से खोजा गया है तब से वह अभी तक सक्रिय है. जब इसे खोजा गया था उस समय वह शनि ग्रह और यूरेनस के आसपास की कक्षा के आसपास था. तब सूरज से उसकी दूरी 240 करोड़ किलोमीटर थी. यानी सूरज और धरती की दूरी से करीब 16 गुना ज्यादा दूरी. शुरुआती जांच में पता चला था कि  इस धूमकेतु का न्यूक्लियस यानी केंद्र बहुत बड़ा है. इसकी स्टडी के लिए कनाडा-फ्रांस-हवाई टेलिस्कोप की मदद ली गई थी.  

 K2 धूमकेतु का न्यूक्लियस की चौड़ाई 30 से 160 किलोमीटर के बीच हो सकती है. जबकि हबल स्पेस टेलिस्कोप ने इसकी चौड़ाई 18 किलोमीटर बताई थी. अब जब ये धरती के नजदीक आएगा तब अंतरिक्ष विज्ञानियों को इसके सही आकार का पता लगाने में मदद मिलेगी. साथ ही यह 19 दिसंबर तक धरती पर मौजूद टेलिस्कोप की नजर में रहेगा, जब तक यह सूरज के पीछे छिप नहीं जाता. 

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