हिन्दू धर्म के मास मार्गशीर्ष (माघ महीना) के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव अष्टमी मनाई जाती है. काल भैरव जयंती का दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना गया है ऐसा माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव के रूप काल भैरव का अवतरण हुआ था. जो भक्त काल भैरव की पूजा अर्चना करते हैं, उनके प्रति इनका स्वभाव दयालु और कल्याणकारी होता है. इसके विपरीत जो व्यक्ति अधर्म के रास्ते चलते है उनके लिए इनका रूप रौद्र होता है. इसी वजह से इन्हें दंडाधिपति के नाम से भी जाना जाता है. इस वर्ष काल भैरव अष्टमी 16 नवंबर, दिन बुधवार को मनाई जायेगी.
काल भैरव जयंती का महत्व
ऐसा माना जाता है कि कालाष्टमी या काल भैरव जयंती के दिन भगवान भैरव का व्रत और पूजन करने से हर प्रकार के भय और रोग से भक्तो को मुक्ति मिलती है. भगवान भैरव अपने भक्त की हर संकट से रक्षा करते हैं और इनके पूजन से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्ति से छुटकारा मिलता है.
काल भैरव की सवारी काले कुत्ते को इस दिन विशेष रूप से भोजन कराना चाहिए. ऐसा करने से काल भैरव तो प्रसन्न होती ही हैं, साथ ही व्यक्ति के सभी मनोकामनाएं भी अवश्य पूरी होती हैं. कालाष्टमी या मासिक कालाष्टमी के दिन जो कोई भी जातक व्रत उपवास रखते हैं उन्हें सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है और उनकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं.
कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि 16 नवंबर 2022 को सुबह 05 बजकर 49 मिनट से प्रारंभ होगी, जो कि 17 नवंबर को शाम 07 बजकर 57 मिनट तक रहेगी.
पूजा विधि
- इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त साफ वस्त्रों धारण करें.
- हो सके तो भगवान काल भैरव व्रत करे
- इसके बाद भगवान भैरव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाये
- काल भैरव को काले तिल, उड़द अर्पित करने चाहिए.
- मंत्रों का जाप करते हुए विधिवत पूजा करनी चाहिए.
- भगवान काल भैरव के साथ भगवान शिव और उनके परिवार की भी पूजा करे.
- बिल्वपत्रों पर सफेद या लाल चंदन से ‘ॐ नमः शिवाय’ लिखकर शिव लिंग पर चढ़ाना चाहिए.
- आरती करें और भगवान को भोग भी लगाएं. इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.
- काल भैरव जयंती के दिन व्रत रखने वाले भक्त को पूरे दिन ‘ओम कालभैरवाय नम:’ का जाप करना चाहिए.
कैसे हुआ भगवान काल भैरव का जन्म
पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान शिव, भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी में बहस छिड़ गई कि तीनों में से सबसे श्रेष्ठ कौन है. जब फैसला नहीं हो पाया तो बात ऋषियों के पास पहुंची और उन्होंने भगवान शिव को सर्वश्रेष्ठ बताया. इसके बाद ब्रह्मा जी ने क्रोध में आकर भगवान शिव को अपशब्द बोल दिया. जिससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और काल भैरव का जन्म हुआ. काल भैरव ने ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया. इसलिए भगवान शिव के इस रुद्र रूप के लिए माना गया है इससे काल भी डरता है. लिहाजा इसे काल भैरव कहा गया.