हिंदू धर्म के अनुसार तीज के पर्व का बहुत बड़ा महत्व है. तीज का उत्सव तीन प्रकार से मनाया जाता है. पहली सावन में हरयाली तीज दूसरी कजरी तीज, तीसरी हरतालिका तीज. हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन मास की पूर्णिमा तिथि समाप्त हो चुकी है और 12 अगस्त करीब 7 बजकर 05 मिनट भाद्रपद मास आरंभ हो चूका है और हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह 6वां महीना है. इसी भाद्रपद में महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला अति महत्वपूर्ण व्रत कजरी तीज आती है. आइये जाने इस व्रत की सम्पूर्ण बाते –
क्या है कजरी तीज शुभ मुहूर्त
इस वर्ष कजरी तीज भाद्रपद मास की तृतीया तिथि 13 अगस्त की रात 12 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 14 अगस्त की रात 10 बजकर 35 मिनट तक रहेगी. इस बार कजरी तीज का त्योहार 14 अगस्त को ही मनाया जाएगा.
अभिजित मुहूर्त : 14 अगस्त 2022 को 12 : 08 PM से 12 :59 मिनट PM
विजय मुहूर्त : 14 अगस्त 2022 को 02 :41 PM से 03 : 33 PM तक
सर्वार्थ सिद्धि योग : 14 अगस्त 2022 को रात 09 : 56 PM से 15 अगस्त 06 : 09 AM तक
अभिजीत और विजय मुहूर्त एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में कजरी तीज का व्रत करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
कजरी तीज की पूजा कैसे करे
कजरी तीज के दिन पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. और कुवांरी लडकियां भी इस दिन व्रत करती है. कजरी तीज के दिन शुभ मुहूर्त में मिट्टी से मां पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति बनाई जाती है. एक चौकी पर पीला और लाल रंग का कपड़ा बिछा कर मां पार्वती और भगवान शिव को स्थापित किया जाता है. उसके बाद भगवान शिव को गंगाजल, गाय का दूध, बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, फल, चंदन, शहद, धूप, दीप आदि अर्पित किया जाता है.
विवाहित महिलाएं इस दिन दुल्हन की तरह तैयार होकर देवी पार्वती और शंकर जी की पूजा करती हैं तो उन्हें अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है. तीज पर महिलाएं पूजा पाठ के बाद लोकगीत जरूर गाएं. इससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा आती है. तीज पर झूला झूलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें. इसके बाद घर में मौजूद सभी बड़ी महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें.
कजरी तीज की व्रत कथा क्या है
एक गांव में ब्राह्मण रहता था. भाद्रपद के महीने की कजरी तीज आई. ब्राह्मणी ने तीज माता का व्रत रखा और ब्राह्मण से कहा, स्वामी आज मेरा तीज व्रत है. कहीं से मेरे लिए चने का सत्तू ले आइए. लेकिन ब्राह्मण ने परेशान होकर कहा कि मैं सत्तू कहां से लेकर आऊं. इस पर ब्राह्मण की पत्नी ने कहा कि मुझे किसी भी कीमत पर चने का सत्तू चाहिए. इतना सुनकर ब्राह्मण रात के समय घर से निकल पड़ा. वह सीधे साहूकार की दुकान में गया और चने की दाल, घी, शक्कर आदि मिलाकर सवा किलो सत्तू बना लिया. इतना करने के बाद ब्राह्मण अपनी पोटली बांधकर जाने लगा. तभी खटपट की आवाज सुनकर साहूकार के नौकर जाग गए और वह चोर-चोर आवाज लगाने लगे.
ब्राह्मण को उन्होंने पकड़ लिया साहूकार भी वहां पहुंच गया. ब्राह्मण ने कहा कि मैं बहुत गरीब हूं और मेरी पत्नी ने आज तीज का व्रत रखा है. इसलिए मैंने यहां से सिर्फ सवा किलो का सत्तू बनाकर लिया है. ब्राह्मण की तलाशी ली गई तो सत्तू के अलावा कुछ भी नहीं निकला. उधर चांद निकल आया था और ब्राह्मण की पत्नी इंतजार कर रही थी. साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी बहन मानूंगा. उसने ब्राह्मण को सत्तू, गहने, रुपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर अच्छे से विदा किया. फिर सबने मिलकर कजली माता की पूजा की. जिस तरह से ब्राह्मण के दिन सुखमय हो गए ठीक वैसे ही कजली माता की कृपा सब पर बनी रहे.