हिन्दू धर्म के अनुसार ऐसे तो वर्ष में पड़ने वाले प्रत्येक पूर्णिमा का अपना अपना अलग महत्व होता है. परन्तु हिंदी महीने के कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का एक अलग ही महत्व होता है. कार्तिक माह सभी महीनो से ज्यादा उत्तम माना गया है और इसमें पड़ने वाला प्रत्येक दिन अपना ख़ास महत्व रखता है. कार्तिक महीने में दीपक का विशेष महत्व है. दीपक रोशनी का प्रतीक है जिससे अंधकार दूर होता है. इसलिए दीपावली के ठीक 15 दिन बाद देव दीपावली मनाई जाती है. कार्तिक महीने में दीपक के प्रकाश, जप, दान व स्नान का विशेष महत्व रहता है. इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को लेकर असमंजस है आइये जानते है कब है पूर्णिमा और क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि –
कार्तिक पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
इस साल कार्तिक पूर्णिमा का आरंभ 07 नवंबर की शाम 04 बजकर 15 मिनट से होकर 08 नवंबर की शाम 04 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. परन्तु उदयातिथि के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा इस बार 08 नवंबर को ही मनाई जाएगी.
पूजा विधि
कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रातः उठकर स्नान कर लें. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है. पर अगर आपके आस पास नदी नहीं है तो आप नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान भी कर सकते हैं. नहाने के बाद घर के मंदिर में दीप जलाए अगर हो सके तो इस दिन व्रत भी रखें, सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें,पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है, इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें.
भगवान विष्णु को भोग लगाएं. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें. क्योंकि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें, इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें, पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है,चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें, चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है.
कार्तिक पूर्णिमा के नियम
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को लोग भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करते हैं. इसके साथ ही इस दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए. गंगा स्नान करने से भारी से भारी कष्ट समाप्त हो जाते है और हर मनोकामना पूरी होती है.
इस दिन कुश को हाथ में लेकर स्नान करना अति शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन कुश हाथ में लेकर स्नान करने से स्वास्थ्य और सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के पौधे को जल अर्पित करना और दीपक जलाना अति उत्तम माना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी के पास दीपक जलाएं और माथे पर तिलक के रूप में तुलसी की जड़ की मिट्टी लगाना शुभ होता है.
इन चीजो का करे दान
- वस्त्र
- गुड़
- अनाज
- दूध
- तिल
कार्तिक पूर्णिमा की कथा
पुरातन काल में एक समय त्रिपुरा राक्षस ने एक लाख वर्ष तक प्रयागराज में घोर तप किया. उसकी तपस्या के प्रभाव से समस्त जड़-चेतन, जीव और देवता भयभीत हो गये. देवताओं ने तप भंग करने के लिए अप्सराएं भेजीं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी. त्रिपुरा राक्षस के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी स्वयं उसके सामने प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा. त्रिपुरा ने वरदान मांगा कि, ‘मैं न देवताओं के हाथों मरूं, न मनुष्यों के हाथों से’. इस वरदान के बल पर त्रिपुरा निडर होकर अत्याचार करने लगा. इतना ही नहीं उसने कैलाश पर्वत पर भी चढ़ाई कर दी. इसके बाद भगवान शंकर और त्रिपुरा के बीच युद्ध हुआ. अंत में शिव जी ने ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु की मदद से त्रिपुरा का संहार किया.