Monday, March 27, 2023
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Maharana Pratap Jayanti 2022: वीरता के प्रतीक मेवाड़ के महान राजपूत महाराणा प्रताप की जयंती आज

Maharana Pratap Jayanti 2022: हर साल पूरे देश में धूमधाम से 9 मई को महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है | महाराणा प्रताप सिंह का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था | इनके पिता का नाम राणा उदय सिंह तथा माता का नाम जयवंता बाई था | हिंदी कैलेंडर के अनुसार इनकी जयंती हर वर्ष ज्येष्ट शुक्ल तृतीया के दिन मनाई जाती है |

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि महाराणा प्रताप सिंह की जन्म कुंडली से यह पता चलता है कि उनका जन्म पाली जिले के राजमहल में हुआ है | क्योंकि उनकी माता जयवंता बाई सोनगरा अखेराज की पुत्री थी जो पाली जिले के थे | और हिंदू संस्कृति में ऐसा माना जाता है किसी भी बच्चे का जन्म पहली बार उसकी माता के अपने पीहर में होता है। 

कुछ इतिहासकारों ने ऐसा भी लिखा है कि जिस समय महाराणा प्रताप सिंह का जन्म हुआ था | उस समय उनके पिता राणा उदयसिंह युद्ध और असुरक्षा से घिरे हुए थे, जैसे ही उन्हें इस बात की खबर हुई कि उनको पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है तो उन्होंने उन युद्ध में विजय प्राप्त की, महाराणा प्रताप मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे| यह वीर पराक्रमी देशभक्त प्रजा-प्रिय थे |

वैसे तो महाराणा प्रताप ने मुगलों से कई लड़ाइयां लड़ीं लेकिन सबसे ऐतिहासिक लड़ाई थी , हल्दीघाटी का युद्ध जिसमें उनका मानसिंह के नेतृत्व वाली अकबर की विशाल सेना से आमना-सामना हुआ। 1576 में हुए इस जबरदस्त युद्ध में करीब 20 हजार सैनिकों के साथ महाराणा प्रताप ने 80 हजार मुगल सैनिकों का सामना किया।

यह मध्यकालीन भारतीय इतिहास का सबसे चर्चित युद्ध है। इस युद्ध में प्रताप का घोड़ा चेतक जख्मी हो गया था। इस युद्ध के बाद मेवाड़, चित्तौड़, गोगुंडा, कुंभलगढ़ और उदयपुर पर मुगलों का कब्जा हो गया था। अधिकांश राजपूत राजा मुगलों के अधीन हो गए लेकिन महाराणा ने कभी भी स्वाभिमान को नहीं छोड़ा। उन्होंने मुगल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया।

हल्दीघाटी युद्ध के दौरान जब मुगल सेना महाराणा के पीछे पड़ी थी, तब चेतक ने राणा को अपनी पीठ पर बिठाकर, कई फीट लंबे नाले को छलांग लगा कर पार किया था। आज भी हल्दी घाटी में चेतक की समाधि बनी हुई है।  

1596 में शिकार खेलते समय उन्हें चोट लगी जिससे वह कभी उबर नहीं पाए। 19 जनवरी 1597 को सिर्फ 57 वर्ष आयु में चावड़ में उनका देहांत हो गया। 

महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामना सन्देश

9 मई को इस वीर योद्धा की जयंती मनाई जाती है | और उनकी वीरता और साहस को याद किया जाता है। आप भी इस खास मौके पर महाराणा प्रताप के विचारों के साथ कुछ संदेशों के माध्यम से एक-दूसरे को शुभकामनाएं दें।

  • करता हुं नमन मै प्रताप को,जो वीरता का प्रतीक है।

तु लोह-पुरुष तु मातॄ-भक्त,तु अखण्डता का प्रतीक है |

महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामना |

  • जब-जब तेरी तलवार उठी, तो दुश्मन टोली डोल गयी।

फीकी पड़ी दहाड़ शेर की, जब-जब तुने हुंकार भरी |

महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामना|

  • धन्य हुआ रे राजस्थान,जो जन्म लिया यहां प्रताप ने।

धन्य हुआ रे सारा मेवाड़, जहां कदम रखे थे प्रताप ने |

महाराणा प्रताप जयंती की शुभकामना|

  • चेतक पर चढ़ जिसने, भाला से दुश्मन संघारे थे,

मातृ भूमि के खातिर , जंगल में कई साल गुजारे थे।

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