भारत की आजादी के लिए कई लोगो ने अपनी जान की बाजी लगा दी उसी में से एक थे मंगल पांडे जिन्हें प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का जनक माना जाता है. 19 जुलाई यानि आज को देश में आजादी की लड़ाई का पहली बार शंखनाद करने वाले अमर शहीद मंगल पांडेय की 193वीं जयंती है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी मंगल पांडे को श्रद्धांजलि अर्पित की आइये जाने मंगल पांडे के के स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान के बारे में
मंगल पण्डे का जन्म कब और कहाँ हुआ
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मंगल पांडे का जन्म बिहार के बलिया जिले के नगवा नामक गांव 19 july 1827 को हुआ था. वर्तमान समय में यह स्थान उत्तर प्रदेश के ललितपुर के पास में स्थित है. उनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम श्रीमती अभय रानी था. वे कलकत्ता (कोलकाता) के पास बैरकपुर की सैनिक छावनी में “34वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री” की पैदल सेना के 1446 नंबर के सिपाही थे. भारत की आजादी की पहली लड़ाई अर्थात् 1857 के संग्राम की शुरुआत उन्हीं के विद्रोह से हुई थी.
29 मार्च 1857 की क्रांति
29 मार्च 1857 के दिन ही भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आरंभ हुआ शाम के चार बजे थे और मंगल पांडेय अपने तंबू में बैठे बंदूक साफ कर रहे थे. तभी मंगल पांडेय को यूरोपीय सैनिकों के आने के बारे में जानकारी मिली. इसके बाद मंगल पांडेय को एकदम बैचेनी सी महसूस होने लगी, उन्हें लगा कि ये सारे यूरोपीय सैनिक भारतीय सैनिकों को मारने यहां आ रहे हैं. तभी मंगल पांडेय अपनी ऑफिशियल जैकेट, टोपी और धोती पहनकर तंबू से बाहर निकले और क्वार्टर गार्ड बिल्डिंग के करीब परेड ग्राउंड की ओर दौड़ पड़े.
वेनगर ने लिखा की मंगल पांडेय ने इस संग्राम के दरम्यान ‘मारो फिरंगी को’ का नारा दिया था, ऐसा कहा जाता है कि फिरंगियों के खिलाफ सबसे पहला नारा मंगल पांडेय के मुंह से ही निकला था. इसी कारण कि मंगल पांडेय को स्वतंत्रता संग्राम का पहला क्रांतिकारी माना जाता है.
ब्रिटिश अधिकारियों ने जब मंगल पांडेय को अपने बस में करने का प्रयास किया तो मंगल पांडेय ने सार्जेंट मेजर ह्वीसन और अडज्यूटेंट लेफ्टिनेंट बेंपदे बाग पर हमला कर दिया. जिसके कारण जनरल ने मंगल पांडेय की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया परन्तु शेख पल्टू के अलावा सभी साथियों ने मंगल पांडेय की गिरफ्तारी का विरोध किया.
मंगल पण्डे ने खुद को मार ली थे गोली
अगर बैरकपुर में चल रही परेड के समय मंगल पांडे के ललकारने पर उसके दूसरे साथी आगे बढ़े होते तो शायद बहुत कुछ नहीं होता. हो सकता है कि अंग्रेज अफसर दबाव में आ जाते. हो सकता है कि तब 1857 के विद्रोह की शक्ल कुछ और होती. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और मंगल पण्डे ने ह्यूसन पर गोली चला दी. तभी दूसरा अफसर लेफ्टिनेंट वाग अपने घोड़े पर सवार होकर आगे बढ़ा. मंगल पांडे ने उसे जख्मी कर दिया.
जब क्रोधित अंग्रेज अफसरों ने मंगल पांडे को गिरफ्तार करने की कोशिश की तो उन्होंने खुद को गोली मार लिया पर मरने की बजाए मंगल पांडे जख्मी हो गए. अस्पताल में इलाज हुआ. ठीक होने के बाद उनका कोर्ट मार्शल किया गया. फांसी की सजा सुनाई गई. 08 अप्रैल 1857 को यानि मुश्किल 15 दिनों के भीतर ही उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया क्योकि अंग्रेजो को डर था की कहीं मंगल पण्डे को ज्यादा दिन ज़िंदा रखा तो विद्रोह बढ़ जायेगा. हमारे इतिहास में मंगल पांडे का यह बलिदान अमर हो गया.
पीएम नरेन्द्र मोदी ने दी श्रद्धांजलि
पीएम नरेंद्र मोदी ने आज भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मंगल पांडे को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उन्होंने बेहद महत्वपूर्ण समय में देशभक्ति की लौ प्रज्वलित की और अनगिनत लोगों को प्रेरित किया. पांडे ने 1857 में ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह कर दिया था जिसके बाद देश में विभिन्न स्थानों पर आजादी के लिए आवाजें उठने लगी थीं.
प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, ‘‘ महान मंगल पांडे साहस और दृढ़ता के पर्याय हैं. उन्होंने इतिहास के बेहद महत्वपूर्ण समय में देशभक्ति की लौ प्रज्वलित की और अनगिनत लोगों को प्रेरित किया. उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि. मेरठ में इस साल की शुरुआत में उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की थी.’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर एक तस्वीर भी साझा की. तस्वीर में वह पांडे की एक प्रतिमा को नमन करते नजर आ रहे.