Monday, March 27, 2023
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Narak Chaturdashi 2022: इस साल कब है नरक चतुर्दशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व जानें

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन नरक चतुर्दशी यम चतुर्दशी मनाया जाता है. नरक चतुर्दशी दिवाली के एक दिन पहले और धनतेरस के एक दिन बाद मनाई जाती है. इसे छोटी दिवाली, रूप चौदस, नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा नरका पूजा के नामों से भी जाना जाता है इस दिन भगवान श्री कृष्ण और माता काली के साथ-साथ देवता यमराज की विशेष पूजा का भी विधान शास्त्रों में वर्णित है. हिन्दू धर्म में नरक चतुर्दशी व्रत का बहुत महत्व है. इस पर्व को नरक चौदस, रूप चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है. रूप चौदस के दिन संध्या के समय दीपक जलाए जाते हैं और चारों ओर रोशनी की जाती है. नरक चतुर्दशी का पूजन अकाल मृत्यु से मुक्ति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए किया जाता है. आइए जानते हैं इस साल नरक चतुर्दशी कब है और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त –

यम चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त

कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ: 23 अक्टूबर 2022 को शाम 06 बजकर 03 मिनट से

चतुर्दशी तिथि समापन: 24 अक्टूबर 2022 को शाम 05 बजकर 27 मिनट पर

नरक चतुर्दशी व्रत तिथि: 24 अक्टूबर 2022, सोमवार

स्नान मुहूर्त: 24 अक्टूबर 2022, सुबह 05:08 – सुबह 06:31

काली चौदस 2022 तिथि और मुहूर्त: 23 अक्टूबर 2022, रविवार रात 11:42 से 24 अक्टूबर 2022 प्रात: 12:33 तक

यम चतुर्दशी की पूजा विधि

नरक चतुर्दशी के दिन प्रातः जल्दी उठें और स्नान आदि कर्म से निवृत होकर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद घर के पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ़ करें. इसके बाद घर के ईशान कोण में पूजा करें. पूजा से पहले पंचदेवों की स्थापना करें और सभी देवी देवताओं को स्नान कराएं. पूजा में सभी के सामने धूप जलाएं. मस्तक पर हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं. नरक चतुर्दशी के दिन षोडशोपचार की सामग्री से पूजा करनी चाहिए. मंत्रों का जाप करते रहें.प्रसाद या नैवेद्य (भोग) लगाएं. इसके बाद घर के मुख्य द्वार या आंगन में प्रदोष काल में दीपक जलाएं. इस दिन यम के नाम का भी एक दीपक जलाया जाता है. इस दिन घर के हर कोने में दीपक जलाएं.

मन्त्र

इस दिन दक्षिण दिशा में मुख कर ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह। त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्।। ‘ मंत्र का जाप करना चाहिए.

यम देवता के इन मंत्रों का भी करें जाप 

  • यमाय नम: यमम् तर्पयामि।
  • यमाय धर्मराजाय मृत्ये चांतकाय च, वैवस्वताय कालाय सर्वभूतक्षयाय च।

नरक चतुर्दशी की कथा (Narak Chaturdashi Katha)

एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में नरकासुर नामक राक्षस ने सभी देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया था. उसके भीतर अनगिनत अलौकिक शक्तियां थीं जिसकी वजह से उससे युद्ध करना किसी के वश में नहीं था. जब नरकासुर की यातनाएं बहुत ज्यादा बढ़ गईं तब सभी देवता भगवान कृष्ण के पास पहुंचे और उनसे बचाव की प्रार्थना की. सभी देवताओं की स्थिति देखते हुए श्रीकृष्ण उनकी मदद के लिए तैयार हो गए.

नरकासुर को अभिशाप मिला था कि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथों ही होगी. तब बड़ी ही चतुराई से भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी के सहयोग से कार्तिक के महीने में कृष्ण पक्ष के 14वें दिन नरकासुर को वध कर दिया. नरकासुर की मृत्यु के बाद 16 हजार बंधकों को मुक्त किया गया. तब से इन 16 हजार बंधकों को पटरानियोंके नाम से जाना जाने लगा. नरकासुर की मृत्यु के बाद कार्तिक मास की अमावस्या के ठीक एक दिन पहले लोग नरक चतुर्दशी मनाने लगे.

यम चतुर्दशी का महत्व

हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी या यम चतुर्दशी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान यम की विशेष पूजा की जाती है. वहीं यमदेव को प्रसन्न करने के लिए दीपों का दान किया जाता है. साथ ही कूड़ेदान के पास एक दीपक जलाया जाता है. घर ने नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए विशेष प्रार्थना की जाती है. नरक चतुर्दशी के दिन यमदेव की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म होता है. साथ ही सभी पापों का नाश होता है, इसलिए शाम के समय यमदेव की पूजा करें और घर के दरवाजे के दोनों तरफ दीप जरूर जलाएं.

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