नवरात्रि के पवित्र पर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है. नवरात्रि के तृतीय दिन मां चंद्रघंटा का होता है. इस दिन देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से भक्त का इहलोक और परलोक दोनों सुधर जाता है. शारदीय नवरात्र की तृतीया तिथि पर देवी के दर्शन से सद्गति मिलती है इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का आरंभ 26 SEPTEMBER से हो चुका है. आज यानि 28 सितंबर 2022 को नवरात्रि का तीसरा दिन है आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा से जुड़ी कथा, पूजा विधि और महत्व के बारे में…
माँ चंद्रघंटा का रूप और उनकी कथा
माँ चंद्रघंटा के अन्दर ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं. माँ अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष व गदा धारण करती हैं. इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है. इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती हैं. भक्तों के लिए माता का ये स्वरूप सौम्य और शांत है.
कथा
प्राचीन काल में देवताओं और असुरों के बीच काफी लंबे समय तक युद्ध हुआ. उस दौरान असुरो का राजा महिषासुर था और देवताओं के स्वामी इंद्र थे. युद्ध में असुरों की जीत हुई और महिषासुर ने देवतालोक पर विजय प्राप्त कर इंद्र का सिंहासन हासिल कर दिया. महिषासुन ने इंद्र, सूर्य, चंद्र और वायु समेत सभी देवताओं से उनके अधिकार भी छीन लिए. देवता परेशान होकर धरती लोक पर आ गए.
देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश से अपना दुख कहा तो वे काफी क्रोधित हुए. तीनों देवों के क्रोध के कारण उनके मुख से ऊर्जा उत्पन्न हुई और देवताओं के शरीर की ऊर्जा से मिल गई. दसों दिशाओं में व्याप्त होने के बाद इस ऊर्जा से मां भगवती के चंद्राघंटा स्वरूप का अवतरण हुआ. भगवान विष्णु ने उन्हें अपना त्रिशूल भेट किया. इसी त्रिशुल मां चंद्रघंटा ने युद्ध में महिषासुर का वध किया.
माँ चंद्रघंटा की पूजा विधि
नवरात्र के तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए भक्त प्रातः नित्य क्रिया से निवृत हो, अपने पूजा स्थान की सफाई करें. उसके बाद मां चंद्रघटा का जल से अभिषेक करें. उसके बाद अक्षत्, कुमकुम, फूल, सिंदूर, धूप, दीप, नैवेद्य आदि मां चंद्रघंटा को चढ़ाये. फिर उनका मन्त्र जाप करे, उनको प्रिय भोग लगाएं और उनकी कथा सुनें उसके पश्चात मां चंद्रघंटा की आरती करें. अंत में मां चंद्रघंटा से क्षमा प्रार्थना करते हुए मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद मांगें.
माँ चंद्रघंटा का पूजन मन्त्र
ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥
आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी।
घण्टा शूल हलानी देवी दुष्ट भाव विनाशिनी।।
“या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।”
पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।
माँ के तृतीय रूप की पूजा का महत्व
मां चंद्रघंटा परिवार की रक्षक हैं खासकर संतानों की. वे अपने संतानों को निडर बनाती हैं. उनमें साहस पैदा करती हैं. यदि आपकी कुंडली में शुक्र ग्रह से जुड़ा कोई दोष है तो आप मां चंद्रघंटा की पूजा करें क्योंकि इस देवी का संबंध शुक्र ग्रह से है. इनकी पूजा से शुक्र ग्रह का दोष दूर हो जाता है. पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए भी आपको मां चंद्रघंटा की आराधना करनी चाहिए. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर साहस और निडरता बढ़ती है.
मां चंद्रघंटा की आरती
जय माँ चन्द्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।
चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
क्रोध को शांत बनाने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली॥
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्रघंटा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।
हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।
श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।
शीश झुका कहे मन की बाता॥
पूर्ण आस करो जगत दाता।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥
कर्नाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी॥
भक्त की रक्षा करो भवानी।