Friday, November 25, 2022
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Navratri 4th day 2022 Maa Kushmanda Puja: चौथे दिन करें मां कुष्मांडा को प्रसन्न, जानें संपूर्ण विधि और मंत्र

नवरात्रि के हर दिन आदिशक्ति के अलग-अलग अवतारों की पूजा की जाती है और आज नवरात्रि का चौथा दिवस है. इस दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा करते हैं. मां कूष्मांडा की पूजा करने से उनके भक्तों के दुख दूर होते हैं, उनको कष्टों से मुक्ति मिलती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कूष्मांडा ने ही इस संसार की रचना की थी. यही कारण है कि इन्हें सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति भी कहा जाता है.

कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप ? 

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है. इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है. मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं. इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है. पौराणिक मान्यता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तब माता ने ब्रह्मांड की रचना कर सृष्टि की आदिस्वरूपा और आदिशक्ति बन गई थीं. यह केवल एक मात्र ऐसी माता है जो सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं. इनकी पूजा करके व्यक्ति अपने कष्टों और पापों को दूर कर सकता है.

कैसे करे मां कूष्मांडा की पूजा विधि

  • सबसे पहले आप सुबह स्नान के बाद मां कूष्मांडा का ध्यान करें.
  • फिर उनका गंगाजल से अभिषेक करें.
  • उसके पश्चात मां कूष्मांडा को लाल वस्त्र, लाल रंग के फूल, अक्षत्, सिंदूर, पंचमेवा, नैवेद्य, श्रृंगार सामग्री आदि अर्पित करें.
  • इस दौरान उनके मंत्र का उच्चारण करते रहें. फिर मां कूष्मांडा को दही और हलवे का भोग लगाएं.
  • सफेद कुम्हड़ा या कुम्हड़ा है तो उसे मातारानी को अर्पित कर दें.
  • फिर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में घी के दीप या कपूर से मां कूष्मांडा की आरती करें.

मां कूष्मांडा पूजा मंत्र

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

मां कूष्मांडा की आरती 

कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥

पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥

लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥

भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥

सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥

माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥

तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥

मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥

तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥

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