नवरात्रि के पावन पर्व पर मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की नौ दिन पूजा की जाती है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है. अष्टमी के दिन मां महागौरी व नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. नवरात्रि व्रत फल कन्या पूजन के बिना नहीं मिलता. देवी पुराण के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर 9 कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है. कन्या और बटुक की पूजा से देवी दुर्गा बेहद प्रसन्न होती हैं. आइये जाने कन्या पूजन की विधि और शुभ मुहूर्त –
अष्टमी तिथि में कन्या पूजन मुहूर्त
- अभिजीत मुहूर्त- 12.04 PM – 12.51 PM
- विजय मुहूर्त- 02.27 PM – 03.14 PM
- गोधूलि मुहूर्त- 06.13 PM – 06.37 PM
नवमी तिथि में कन्या पूजन मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त – 11.52 PM – 12.39 PM
गोधूलि मुहूर्त – 05.58 PM – 06.22 PM
अमृत मुहूर्त – 04.52 PM – 06.22 PM
कन्या पूजन विधि
वैसे तो नवरात्रि के नौ दिनों तक नौ कन्याओ का पूजन कर उन्हें भोजन करना चाहिए परन्तु अगर ऐसा संभव् ना हो तो अष्टमी व् नवमी तिथी को कन्या पूजन जरुर करना चाहिए. कन्या पूजन के लिए सबसे पहले कन्याओं को आमंत्रित कर उनका स्वागत करें, उनके पैर धोएं और चरण पूजन करते हुए अक्षत, पुष्प, कुंकम चढ़ाएं इसके बाद उनका पूजन करते हुए टीका लगाएं. साथ ही हाथों में रक्षा सूत्र बांधें. अब आप इन्हें चुनरी ओढ़ा कर भोजन कराएं. इसके बाद इन्हें वस्त्र का उपहार या दक्षिणा दें. इसके बाद इन्हें सम्मान के साथ विदा करें. कन्याओं को उनके घर तक पहुंचा कर आवें.
ध्यान रहे कन्याओं की उम्र दो साल से लेकर दस साल के बीच होनी चाहिए. सामान्यतः कन्या की संख्य नौ होनी चाहिए, वैसे इसे घटाया बढ़ाया भी जा सकता है.
आयु के अनुसार कन्या पूजन से मिलेगे विशेष लाभ
- 2 साल – 2 वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है. इनकी पूजा से दुख, दरिद्रता दूर होती है. खुशियों का आगमन होता है.
- 3 साल – तीन साल की कन्या त्रिमूर्ति कहलाती हैं. इनके पूजन से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्त होता है. वंश में वृद्धि होती है.
- 4 साल – चार वर्ष की कन्या को कल्याणी कहा जाता है. इनकी उपासना से बुद्धि, विद्या में बढ़ोत्तरी और राज सुख मिलता है.
- 5 साल – पांच साल की कन्या रोहिणी के रूप में जानी जाती हैं. इनकी आराधना से गंभीर रोगों का नाश होता है.
- 6 साल – 6 साल की बच्चियां कालिका का रूप मानी जाती है. इनकी पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है.
- 7 साल – सात वर्ष की कन्या चंडिका कहलाती हैं. इस स्वरूप की उपासना से धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है.
- 8 साल – आठ साल की कन्या देवी शांभवी का स्वरूप होती है. इनके पूजन से कोर्ट कचहरी के मामले जल्द हल होते हैं और विवाद समाप्त होता है.
- 9 साल – देवी दुर्गा का रूप होती हैं 9 साल की कन्या. कष्ट, दोष से मुक्ति पाने के लिए इस उम्र की कन्या की पूजा करें. इससे परलोक की प्राप्ति होगी.
- 10 साल – इन्हें सुभद्रा कहा गया है. इनकी पूजा से बिगड़े काम बज जाते हैं. सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं.
कन्या पूजन में कन्याओ को दे उपहार
हलवा
कन्या पूजन में आप अपनी पूंजी अनुसार कन्याओं को भोजन करा सकते हैं. लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दिन कन्याओं को कोई मिष्ठान जरूर खिलाएं. इसके लिए आप आटे या सूजी का हलवा और खीर का भोग माता दुर्गा को लगाकर इसे कन्याओं को खाने के लिए दें.
फल
ज्योतिषविदो के अनुसार कन्याओं को भोजन करवाने के बाद विदा करते समय उन्हें एक फल उपहार में जरूर दें. इसके लिए आप केला अथवा नारियल छोटी कन्याओं को भेंट कर सकते हैं. मान्यता है कि कन्याओं को फल देकर विदा करने से आपके पुण्य फलों में वृद्धि होती है.
लाल रंग के वस्त्र
शास्त्रों के अनुसार मां दुर्गा को लाल रंग बेहद प्रिय है. ऐसे में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्याओं को उपहार में लाल रंग के वस्त्र देना शुभ होता है. आप केवल लाल रंग की चुनरी भी भेंट में दे सकते हैं.
शृंगार की सामग्री
कन्या पूजन के समय भेंट में कन्याओं को शृंगार की सामग्री देना शुभ माना जाता है. इसके लिए शृंगार की चीजों को पहले पूजा में दुर्गा मां को अर्पित करें. फिर शृंगार की चीजों को कन्याओं को बांटें.