मशहूर जादूगर ओपी शर्मा का उत्तर प्रदेश के कानपुर में निधन हो गया. दुनिया को अपने जादू से अचंभित करने वाला सितारा अब हमेशा के लिए खामोश हो गया. वो लंबे समय से बीमार चल रहे थे. वह किडनी की बीमारी के चलते फॉर्चून हॉस्पिटल में भर्ती थे. उन्होंने फॉर्च्यून हॉस्पिटल में ही अंतिम सांस ली. उनके निधन की सूचना मिलते ही शहर में शोक की लहर दौड़ गई. रंगमंच और इंद्रजाल की दुनिया का हर शख्स गमगीन हो गया.
ओपी शर्मा का जन्म 1973 में हुआ था और वे मूल रूप से बलिया के रहने वाले थे. उनके परिवार में पत्नी मीनाक्षी, दिल्ली दूरदर्शन में कार्यरत बड़े बेटे प्रेम प्रकाश शर्मा, मंझले बेटे सत्य प्रकाश शर्मा (ओपी शर्मा जूनियर) और प्रिटिंग का काम करने वाले तीसरे बेटे पंकज प्रकाश शर्मा और संयुक्त राज्य अमेरिका में रह रही सबसे छोटी बेटी रेनू शर्मा हैं.
ओपी शर्मा का घर भुत बंगला हो चुका है फेमस
ओपी शर्मा ने अपने आवास का नाम भूत बंगला रखा है, जो शहर की एक पहचान बन चुका है. पहले वह बर्रा से शास्त्रीनगर एरिया में रहते थे. बताया जाता है कि जादूगर ओपी शर्मा कभी भी किसी भी शहर में शो करने जाते थे तो उनके साथ 100 से अधिक लोगों का काफिला होता था. उनकी टोली में सहयोगी पुरुष एवं महिला कलाकारों, संगीतकारों, गायकों, मेकअप मैन और प्रकाश नियंत्रक जैसे कई सहयोगी होते थे. जब एक जगह से दूसरी जगह ओपी शर्मा रवाना होते थे तो इंद्रजाल का सारा सामान 16 से अधिक ट्रकों में समाता था.
ओपी शर्मा ने स्वयम की अलग ही जादूई दुनिया बनाई थी. 34 हजार से अधिक शो उन्होंने अपने पूरे जीवन में किए. इन शो के जरिए वे हर वर्ग को अपना मुरीद बनाते थे. क्या बच्चे, क्या युवा, बुजुर्ग भी उनके फैन थे. उनका जादूई गेटअप भी लोगों को खासा आकर्षित करता था. वो सपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं. उनके परिश्रम, प्रतिभा को देखते हुए इंडियन मैजिक मीडिया सर्कल ने उन्हें नेशनल मैजिक अवार्ड 2001 व शहंशाह ए जादू की महान उपाधि दी थी.
फैन्स में है शोक व्याप्त
ओपी शर्मा के निधन पर कानपुर में शोक है. वहीं, उनकी जादूई दुनिया के मुरीद भी उनके निधन पर शोक जता रहे हैं. कानपुर के लिए यह 15 दिनों में दूसरा झटका है. राजू श्रीवास्तव के निधन से कानपुर उबरा नहीं और अब ओपी शर्मा के निधन ने कानपुर को दुखी कर दिया है.
भाई से सीखी थी जादुई कला
मैजिशियन ओपी शर्मा का जादुई दुनिया से बचपन से ही लगाव था. तब वह कक्षा द्वितीय में पढ़ते थे. जादू का आरंभिक करतब उन्होंने अपने बड़े भाई स्व.देवतानंद शर्मा से सीखे थे. जैसे-जैसे बड़े हुए उनकी प्रतिभा में निखार आता गया और उन्होने मायानगरी मुंबई में अपना नाम स्थापित किया. मुंबई में डिजाइनर इंजीनियरिंग करने के दौरान ही उन्होंने व्यवसायिक शो करने शुरू किए थे. वहीं फिल्मी दुनिया से मंच, साज-सज्जा, मेकअप, लाइटिंग, साउंड, का बारीकी से अध्ययन करने के बाद जादू शो में समावेश कर जादू की कला को सुसज्जित किया.