प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया. इंडिया गेट के पास कैनोपी के नीचे 28 फीट ऊंची जेट ब्लैक ग्रेनाइट की नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाई गई है. ग्रेनाइट से बनी यह प्रतिमा हमारे स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के अपार योगदान के लिए एक उपयुक्त श्रद्धांजलि है और उनके प्रति देश के ऋणी होने का प्रतीक है. प्रधानमंत्री ने इस दौरान नेताजी की मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकारों से भी मुलाकात की और उन्हें 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया.
पीएम मोदी ने किया संबोधित
‘कर्तव्य पथ’ के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्वस में देश को आज नई प्रेरणा मिली है, नई ऊर्जा मिली है. आज हर तरफ ये नई आभा दिख रही है. यह नए भारत के आत्मविश्वास की आभा है. गुलामी का प्रतीक किंग्सवे यानी राजपथ आज से इतिहास की बात हो गया. यह हमेशा के लिए मिट गया. आज कर्तव्य पथ के रूप में नए इतिहास का सृजन हुआ है. मैं सभी देशवासियों को आजादी के इस अमृतकाल में गुलामी के एक और पहचान से मुक्ति के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं.
पीएम मोदी ने कहा कि आज इंडिया गेट के पास आजादी के नायक नेताजी सुभाषी चंद्र बोस की एक प्रतिमा का भी अनावरण हुआ है. उन्होंने कहा कि यह अवसर ऐतिहासिक है, अभूतपूर्व है. हम सबका सौभाग्य है कि हम आज का यह दिन देख रहे हैं. इसके साक्षी बन रहे हैं. पीएम ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस ऐसे महामानव थे जो पथ और संसाधनों की चुनौती से परे थे.
उनकी स्वीकार्यता ऐसी थी कि पूरा विश्व उन्हें नेता मानता था. उनमें साहस था, स्वाभिमान था. उनके पास विचार थे, विज़न था. उनमें नेतृत्व की क्षमता थी, नीतियां थीं. उन्होंने कहा कि अगर आजादी के बाद हमारा भारत सुभाष बाबू की राह पर चला होता तो आज देश कितनी ऊंचाइयों पर होता! लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद हमारे इस महानायक को भुला दिया गया. उनके विचारों को, उनसे जुड़े प्रतीकों तक को नजरअंदाज कर दिया गया.
पीएम मोदी ने कहा कि बीते आठ वर्षों में हमने एक के बाद एक ऐसे कितने ही निर्णय लिए हैं, जिन पर नेता जी के आदर्शों और सपनों की छाप है. नेताजी सुभाष, अखंड भारत के पहले प्रधान थे, जिन्होंने 1947 से भी पहले अंडमान को आजाद कराकर तिरंगा फहराया था. उस वक्त उन्होंने कल्पना की थी कि लाल किले पर तिरंगा फहराने की क्या अनुभूति होगी. इस अनुभूति का साक्षात्कार मैंने स्वयं किया, जब मुझे आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष होने पर लाल किले पर तिरंगा फहराने का सौभाग्य मिला.
पीएम ने कहा कि आज अगर राजपथ का अस्तित्व समाप्त होकर कर्तव्यपथ बना है, आज अगर जॉर्ज पंचम की मूर्ति के निशान को हटाकर नेताजी की मूर्ति लगी है, तो ये गुलामी की मानसिकता के परित्याग का पहला उदाहरण नहीं है. ये न शुरुआत है, न अंत है. ये मन और मानस की आजादी का लक्ष्य हासिल करने तक निरंतर चलने वाली संकल्प यात्रा है. कर्तव्य पथ का उद्घाटन करने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सेंट्रल विस्टा एवेन्यू (Central Vista Avenue) पर प्रदर्शनी देखी.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति बनाने में 26 हजार घंटे की मेहनत
नेताजी की मूर्ति को 280 मीट्रिक टन वजन वाले विशाल ग्रेनाइट पत्थर पर उकेरा गया है. मूर्ति बनाने के लिए इस्तेमाल में लाए गए विशाल ग्रेनाइट पत्थर को तेलंगाना के खम्मम से 1665 किलोमीटर दूर नई दिल्ली तक लाने के लिए 100 फुट लंबे 140 पहियों वाला एक ट्रक विशेष तौर पर तैयार किया गया था.
कर्तव्य पथ और नेताजी की प्रतिमा के उद्घाटन पर बोले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता, सशक्त नेतृत्व और दृढ़ संकल्प के परिणाम स्वरूप देश की सबसे बड़ी परिवर्तनकारी परियोजना का शुभारंभ किया जा रहा है.