भारत सरकार गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती मना रही है | साल भर पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि गुरु तेग बहादुर की जयंती के कार्यक्रम पूरे साल चलेंगे | साल भर तक चले कार्यक्रमों का 21 अप्रैल को समापन हो रहा है | केन्द्र सरकार ने फैसला किया है कि ये समारोह दो दिन 20-21 अप्रैल को आयोजित किया जाएगा | पीएम मोदी 21 अप्रैल को इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे | इस मौके पर पीएम मोदी एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी करेंगे |
गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती
गुरु तेग बहादुर जी की जयंती २१ अप्रैल को है | तेग बहादुर सिंह का जन्म वैशाख कृष्ण पक्ष पंचमी को पंजाब के अमृतसर में हुआ था | गुरु तेग बहादुर सिंह सिखों के नौवे गुरु थे | ये गुरु हरगोविन्द जी के पाँचवें पुत्र थे। आठवें गुरु इनके पोते ‘हरिकृष्ण राय’ जी की अकाल मृत्यु हो जाने के कारण जनमत द्वारा ये नवम गुरु बनाए गए। इन्होंने आनन्दपुर साहिब का निर्माण कराया और ये वहीं रहने लगे थे। उनका बचपन का नाम त्यागमल था। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुग़लों के हमले के ख़िलाफ़ हुए युद्ध में उन्होंने वीरता का परिचय दिया। उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम त्यागमल से तेग़ बहादुर (तलवार के धनी) रख दिया। युद्धस्थल में भीषण रक्तपात से गुरु तेग़ बहादुर जी के वैरागी मन पर गहरा प्रभाव पड़ा और उनका मन आध्यात्मिक चिंतन की ओर हुआ। धैर्य, वैराग्य और त्याग की मूर्ति गुरु तेग़ बहादुर जी ने एकांत में लगातार 20 वर्ष तक ‘बाबा बकाला’ नामक स्थान पर साधना की। आठवें गुरु हरकिशन जी ने अपने उत्तराधिकारी का नाम के लिए ‘बाबा बकाले’ का निर्देश दिया।
प्रकाश पर्व के दिन क्या-क्या होता है
प्रकाश पर्व के दिन पंज प्यारों के नेतृत्व में प्रभात फेरी का आयोजन किया जाता है | सिख धर्म में इनका स्थान बहुत ऊंचा होता है | नगर कीर्तन करते हुए प्रभात फेरी गुरुद्वारे पहुंचती है और फेरी में शामिल सभी लोग मत्था टेकते हैं | इस दिन सभी गुरुद्वारे सुंदर रूप से सजाए जाते हैं और गुरुवाणी गाई जाती है | साथ ही, गुरु के उपदेशों को दोहराया जाता है| प्रकाश पर्व के दिन सिख समुदाय के लोग लंगरों में स्वेच्छा से सेवा करते हैं और जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं |