Saturday, November 19, 2022
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Margashirsha Pradosh Vrat Kab Hai: मार्गशीर्ष मास के किस किस तारीख को रखा जायेगा प्रदोष व्रत, जाने शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और शिव जी को प्रसन्न करने के उपाय

हिन्दू पंचांग के अनुसार हिन्दू महीने के प्रत्येक पक्ष[कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष ]में शिव जी का परम प्रिय प्रदोष  व्रत दो बार आता है यानि कि एक बार कृष्ण पक्ष में और एक बार शुक्ल पक्ष में,  साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं।इस समय  हिन्दू धर्म का मार्गशीर्ष  महीना शुरू हो चुका है. मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है. आइए जानते हैं मार्गशीर्ष प्रदोष व्रत डेट, महत्व, पूजा- विधि और सामग्री की पूरी लिस्ट..

कब कब है मार्गशीर्ष का प्रदोष व्रत

मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 21 नवंबर दिन सोमवार को है. इस प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा.

शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ – 10:07 am, नवम्बर 21

मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त – 08:49 am, नवम्बर 22

प्रदोष काल- 05:15  pm  से 07:56 pm 

मार्ग शीर्ष शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में पड़ने वाला प्रदोष व्रत 5 दिसंबर को है. 5 दिसंबर को भी सोमवार है, इसे भी सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा.

शुभ मुहूर्त

मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी प्रारम्भ – 05:57 am, दिसम्बर 05

मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी समाप्त – 06:47 am, दिसम्बर 06

प्रदोष काल- 05:14 pm से 07:57 pm  

प्रदोष व्रत पूजा विधि

मार्गशीर्ष में पड़ने वाले दोनों प्रदोष व्रत सोम प्रदोष व्रत है, सोम प्रदोष व्रत के दिन सुबह उठकर नित्य कर्म स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद स्नान किया जाता है. इसके पश्चात भक्त भगवान शिव के मंदिर जाते हैं या फिर घर के मंदिर में ही शिवलिंग या शिव परिवार के तस्वीर की पूजा करते हैं. भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्त शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करते हैं. साथ ही, शिवलिंग पर जौ अर्पित किया जाता है.

इस दिन प्रदोष काल में भगवान शंकर का पंचामृत से अभिषेक करें, ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा से जुड़े सभी दोष दूर हो जाते हैं. सोम प्रदोष व्रत की पूजा में कच्चा दूध, पुष्प, मेवे, कपूर, रोली, बेलपत्र, शहद, दीप, धूप और घी आदि शामिल किया जाता है. भगवान शिव की आरती और भजन गाने भी शुभ माने जाते हैं.  वहीं इस दिन शाम के समय शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए, ऐसा करने से आत्म बल और धर्म में वृद्धि होती हैं.

प्रदोष व्रत की सामग्री

प्रदोष व्रत पूजा के लिए शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री, गाय का कच्चा दूध, मंदार पुष्प, पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, कपूर, धूप, पंच रस, गन्ने का रस, बिल्वपत्र, इत्र, गंध रोली, पंच मिष्ठान्न, जौ की बालें, मौली जनेऊ, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, दीप, रूई, मलयागिरी, गंगा जल, पवित्र जल, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, रत्न, दक्षिणा, चंदन अबीर ,गुलाल फल की जरूरत होती है. 

सोम प्रदोष व्रत का महत्व

व्यक्ति द्वारा प्रदोष व्रत करने से सभी प्रकार के दोष दूर होते हैं. वैसे दिन के अनुसार पड़ने वाले प्रदोष व्रत का अपना अलग महत्व और फल होता है. परन्तु जो लोग सोम प्रदोष व्रत रखते हैं, उनकी शिव कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस व्रत को करने से मनोकामना पूर्ति होती  है. प्रदोष व्रत रखने और शिव पूजा करने से रोग, ग्रह दोष, कष्ट, पाप आदि दूर होते हैं, जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और उन्नति प्राप्त होती है.

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