यूजीसी ने सभी हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन्स को प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की नियुक्ति के नियमों में बदलाव के सम्बन्ध में एक पत्र लिखा है. इस पत्र में विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और कॉलेजों के प्राचार्यों से कहा गया है कि कि वे अपने संस्थानों में प्रैक्टिस के प्रोफेसर की नियुक्ति को सक्षम करने के लिए अपने कानूनों, अध्यादेशों, नियमों व विनियमों में आवश्यक परिवर्तन करें. यूजीसी का कहना है कि इस मामले में की गई कार्रवाई को विश्वविद्यालय अपने गतिविधि निगरानी पोर्टल पर शेयर भी करें.
प्रोफेसर्स ऑफ प्रैक्टिस
अब आप सोच रहे होगे की ये प्रोफेसर्स ऑफ सर्विस आखिर है क्या तो हम आपको बता दे कि इसके अंतर्गत’ वह लोग होंगे जो साधारणतया एक शिक्षक नहीं है और ना ही उन्होंने पढ़ाने के लिए किसी शिक्षण संस्थान से पीएचडी की है. लेकिन इसके बाद भी उन्हें उनके प्रोफेशनल अनुभव के आधार पर उन्हें कॉलेजों में छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जा सकता है.
यह प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस छात्रों को वह विषय पढ़ाएंगे, जिसमें उनका लंबा प्रोफेशनल अनुभव है. यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने इस मामले में मीडिया को बताया कि 14 नवंबर को इस संबंध में देशभर के विश्वविद्यालयों को एक आधिकारिक लेटर लिखा गया है.
अनुभवी प्रोफेसरों को जोड़ना चाहती है यूजीसी
UGC ने अपने लिखे हुए पत्र में कहा कि,“उच्च शिक्षा संस्थानों को पेशेवर विशेषज्ञों को नियुक्त करने में सक्षम बनाने के लिए, यूजीसी ने ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ नामक एक नया पोस्ट बनाया है और ऐसे प्रोफेसर्स को नियुक्त करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं.
यूजीसी ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में ’प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की नियुक्ति के दिशा-निर्देश यूजीसी की वेबसाइट पर 30.09.2022 को अपलोड कर दिए गए हैं. यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम जगदीश कुमार बताया कि ’प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ शैक्षिक संस्थानों के लिए संस्थानों के संकाय सदस्यों की पढ़ाई के पूरक के तौर पर छात्रों में औद्योगिक कौशल लाने का एक अनूठा मौका देती है. यह पद उद्योग और अन्य व्यवसायों के अनुभवी लोगों को अध्यापन पेशे की तरफ आकर्षित कर सकती है, जो छात्रों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.