रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के गवर्नर ने 28 सितंबर से 30 सितंबर तक चली एमपीसी की बैठक के बाद रेपो रेट को बढ़ाने का फैसला लिया है. आरबीआई ने रेपो रेट में फिर से 0.50% बढ़ोतरी का एलान किया है. अब आरबीआई की रेपो रेट 5.4% से बढ़कर 5.9% हो गई है. इससे पहले आरबीआई ने अगस्त में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी. देखे तो यह आरबीआई की ओर से चौथी रेपो रेट वृद्धि है. आइये जानते है इससे आम जनता पर क्या असर पड़ेगा
चौथी बार की गई रेपो रेट में बढ़ोतरी
आज गवर्नर द्वारा लिए गए रेपो रेट बढ़ोतरी के फैसले को मिलाकर केंद्रीय बैंक मई के बाद से रेपो रेट अब तक चार बार इजाफा कर चुका है. इस कारण रेपो रेट अब 5.90 फीसदी पर पहुंच गया है. इससे पहले यह 5.40 पर था.
शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के झटके के बाद एक और तूफान वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा आक्रामक मौद्रिक नीतियों से उत्पन्न हुआ है. दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों ने महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में इजाफा किया है. अमेरिकी फेड रिजर्व ने ब्याज दरों में लगातार 75 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया था. इसकी वजह से रुपये पर दबाव बढ़ गया था.
EMI हो जायेगी महंगी
आरबीआई द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद होम लोन से लेकर कार लोन और एजुकेशन लोन का महंगा होना सुनिश्चित हो गया है. इसके अलावा जिन लोगों ने पहले से होम लोन लिया हुआ है उनकी ईएमआई और महंगी हो जाएगी. मान लेते हैं कि जिस बैंक से आपने होम लिया है, उसकी होम लोन की दर पहले 8.10 फीसदी थी और आपको ये लोन 20 साल की अवधि के लिए लिया है. ऐसे में 30 लाख रुपये के लोन पर पहले आपको 25,280 रुपये की ईएमआई देनी होती थी, लेकिन अब आपको 26,225 रुपये चुकाने पड़ेंगे.
क्या है रेपो रेट
रेपो रेट पर आरबीआइ कमर्शियल बैंकों को लोन देता है. रेपो रेट का पूरा नाम रिप्रोडक्शन रेट (Reproduction Rate) है, रेपो रेट के कम होने का मतलब होता है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे. रेपो रेट कम हाेने से होम लोन (Home Loan), व्हीकल लोन (Vehicle loan) और पर्सनल लोन (Personal Loan) सभी सस्ते हो जाते हैं.परन्तु अगर रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है तो सभी तरह के लोन महंगे हो जाते हैं.