हिन्दुओ में यह मान्यता है की किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान् गणेश की पूजा की जाती है | हिन्दुओ में भगवान् गणेश को सब देवी देवताओं से प्रथम पूजनीय माना गया है |उन्हें बुद्धि, बल और विवेक का देवता का दर्जा प्राप्त है | आज संकष्टी चतुर्थी है | और आज के दिन व्रत रखकर भगवान गणेश की पूजा करते है |संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी| संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना ’ इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की आराधना करता है |
कब है संकष्टी चतुर्थी,जाने शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी दिन को संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इसे एकदंत संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस दिन विघ्नहर्ता गणेश जी की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। दिनभर व्रत करने के साथ चंद्र देव के दर्शन करने के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
चतुर्थी तिथि 18 मई को रात 11 बजकर 36 मिनट से शुरू होगी,जो अगले दिन 19 मई को रात 8 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी। और चंद्रोदय का समय रात 10 बजकर 23 मिनट पर है |
संकष्टी चतुर्थी पूजा- विधि
इस दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ-सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद भगवान गणेश जी का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें। अब गणपति जी की पूजा करें। भगवान गणेश को फूल के माध्यम से पहले थोड़ा सा जल अर्पित करें। इसके बाद फूल, माला चढ़ाएं। उन्हें दूर्वा घास चढ़ाएं,सिंदूर लगाएं,मोदक का भोग लगाएं| गणेश जी की आरती करें |शाम को चांद के दर्शन करने के बाद व्रत खोलें|