Friday, November 25, 2022
HomeDharmShardiya Navratri 2022 Day 2: नवरात्र का दूसरा दिन, यहां जानिए मां...

Shardiya Navratri 2022 Day 2: नवरात्र का दूसरा दिन, यहां जानिए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि और मंत्र

शारदीय नवरात्र का आज दूसरा दिन है. इस दिन माँ दुर्गा के दूसरे स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. ब्रह्म’ शब्द का अर्थ तपस्या से है और ‘ब्रह्मचारिणी’ का अर्थ है- तप का आचरण करने वाली. मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान बुद्धि विवेक में वृद्धि प्रदान करती हैं साथ ही व्यक्ति के कौशल को धार देती हैं और उसकी आंतरिक शक्ति को पैना करती हैं. आइये जाने इस दिन की पूजा विधि –

कैसे नाम पड़ा ब्रम्ह्चारिणी और क्या है इनका स्वरूप

मां ब्रह्मचारिणी का जन्म पार्वती के रूप में पर्वतराज हिमालय के घर में पुत्री के रूप में हुआ था. भगवान शिव से विवाह करने के लिए नारद जी ने मां पार्वती को व्रत रखने की सलाह दी थी. भगवान शिव को पाने के लिए देवी मां ने निर्जला, निराहार होकर कठोर तपस्या की थी. इसलिए इन्हें तपश्चारिणी भी कहा जाता है. मां ब्रह्मचारिणी कई हजार वर्षों तक जमीन पर गिरे बेलपत्रों को खाकर भगवान शंकर की आराधना करती रहीं और बाद में उन्होंने पत्तों को खाना भी छोड़ दिया, जिससे उनका एक नाम अपर्णा भी पड़ा.

मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है. देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है यानी तपस्या का मूर्तिमान रूप है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति को आंतरिक शांति प्राप्त होती है.

कैसे करे माँ ब्रम्ह्चारिणी की पूजा

माँ ब्रम्ह्चारिणी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के दूसरे दिन प्रातः उठकर नित्य क्रिया से निवृत हो स्नान करें. इसके बाद पूजा के लिए स्थान को साफ कर लें. सबसे पहले आसन बिछाएं. इसके बाद माता को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर अपनी पूजा शुरु करें. सबसे पहले फूल, अक्षत, चंदन, फल, रोली, लौंग, सुपारी और पान आदि मां को भेट करें. इसके बाद मां को भोग भेट करें. मां ब्रह्मचारिणी का पसंदीदा भोग चीनी और मिश्री है. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में भक्त को पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहनने चाहिए. 

करे इन मंत्रो का जाप

नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की विधिवत पूजा करने के बाद इन मंत्रों का जाप करें

1- ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:’

2- ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।

सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते.

3- या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

4- दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।

माँ ब्रम्ह्चारिणी की आरती

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments