70, 80 के दशक का शायद ही कोई ऐसा सिनेमा प्रेमी हो जिसे नहीं पता हो कि स्मिता पाटिल कौन हैं? उस समय की टॉप अभिनेत्रियों में स्मिता पाटिल का नाम गिना जाता था ऐसा शायद ही किसी को सोच पाना संभव हो कि पॉलिटिकल फैमिली की बेटी बड़े परदे पर काम करे, लेकिन स्मिता ने किया. उन्होंने आर्ट फिल्मों से लेकर बॉलीवुड मसाला फिल्मों में भी काम किया है. अभिनेत्री अपनी फिल्मों के अलावा राज बब्बर के साथ अपने रिश्ते को लेकर भी खूब चर्चा में रही थीं. आज अभिनेत्री की बर्थ एनिवर्सरी के मौके हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें बताने जा रहे हैं.
स्मिता पाटिल जीवन परिचय
स्वर्गीय स्मिता पाटिल का जन्म 17 अक्टूबर, 1955 को पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था. स्मिता पाटिल एक राजनीतिक परिवार से सम्बन्ध रखती थीं. उनके पिता का नाम शिवाजी राय पाटिल था वे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री थे, जबकि उनकी माँ समाज सेविका थी. स्मिता पाटिल ने भारतीय अभिनेता राज बब्बर के साथ शादी की. 28 नवंबर 1986 को स्मिता ने बेटे प्रतीक बब्बर को जन्म दिया. स्मिता पाटिल ने अपनी स्कूल की पढ़ाई महाराष्ट्र से ही पूरी की थी. उन्होंने ‘फ़िल्म एण्ड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया’, पुणे से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी.
स्मिता हमेशा से ही थोड़ी ढीठ स्वभाव की रहीं. उस ज़माने में जहाँ कोई नारी उत्थान के बारे में ना सोचता तब वह महिलाओं के हक़ की बाते किया करती थी उन्होंने फिल्मों में किरदार भी ऐसे निभाए जो महिलाओं की मन:स्थिति को लोगों तक पहुंचा सकें. दूरदर्शन में न्यूज रीडर को साड़ी पहननी होती थी लेकिन स्मिता जींस में कम्फर्टेबल थीं. उन्हें जींस पहनना पसंद था. ऐसे में, वह जींस के ऊपर साड़ी पहनकर एकदम गंभीर भाव से न्यूज पढ़ती थीं.
कैसे हुई स्मिता पाटिल के कैरियर की शुरुआत
टेलीविजन में काम करते हुए उनकी मुलाकात जाने-माने फिल्म निर्माता-निर्देशक श्याम बेनेगल से हुई. श्याम बेनेगल उन दिनों अपनी फिल्म ‘चरणदास चोर’ (1975) बनाने की तैयारी में थे. उन्हें स्मिता पाटिल में एक उभरता हुआ सितारा दिखाई दिया और उन्होंने अपनी फिल्म में स्मिता पाटिल को एक छोटी-सी भूमिका निभाने का अवसर दिया. इस तरह भारतीय सिनेमा जगत में ‘चरणदास चोर’ के जरिए श्याम बेनेगल और स्मिता पाटिल के रूप में कलात्मक फिल्मों के दो दिग्गजों का पदार्पण हुआ.इसके बाद 1975 में श्याम बेनेगल ने फिल्म ‘निशांत’ में स्मिता को काम करने का मौका दिया. उसकी सफलता के बाद 1977 का साल स्मिता पाटिल के सिने कैरियर में अहम पड़ाव साबित हुआ. इस वर्ष उनकी ‘भूमिका’ और ‘मंथन’ जैसी सफल फिल्में प्रदर्शित हुयी.
सन 1977 में ही स्मिता की फिल्म ‘भूमिका’ भी प्रदर्शित हुई, जिसमें उन्होंने तीस-चालीस के दशक में मराठी रंगमंच की अभिनेत्री हंसा वाडेकर की निजी जिंदगी को रूपहले पर्दे पर बहुत अच्छी तरह साकार किया. उसमें उनके अभिनय के लिए 1978 में ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया. ‘मंथन’ और ‘भूमिका’ में उन्होंने कलात्मक फिल्मों के महारथी नसीरुद्दीन शाह, शबाना आजमी, अमोल पालेकर और अमरीश पुरी जैसे कलाकारों के साथ काम किया और अपनी अदाकारी का जौहर दिखाया. फिल्म ‘भूमिका’ से शुरू हुआ स्मिता पाटिल का फिल्मी सफर ‘चक्र’, ‘निशांत’, ‘आक्रोश’, ‘गिद्ध’, ‘अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ और ‘मिर्च-मसाला’ जैसी फिल्मों तक जारी रहा. स्मिता पाटिल को सत्यजित राय के साथ भी काम करने का मौका मिला. टेलीफिल्म ‘सद्गति’ उनके द्वारा अभिनीत श्रेष्ठ फिल्मों में गिनी जाती है. स्मिता पाटिल ने 1980 में प्रदर्शित फिल्म ‘चक्र’ में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली महिला के किरदार को रूपहले पर्दे पर जीवंत कर दिया. इसके लिए उन्हें दूसरी बार ‘राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया.
अस्सी के दशक में स्मिता पाटिल ने व्यावसायिक सिनेमा की ओर रुख कर लिया. इस दौरान उन्हें अमिताभ बच्चन के साथ ‘नमक हलाल’ और ‘शक्ति’ जैसी फिल्मों में काम करने का अवसर मिला, जिसकी सफलता ने स्मिता पाटिल को व्यावसायिक सिनेमा में भी स्थापित कर दिया. अस्सी के दशक में स्मिता पाटिल ने व्यावसायिक सिनेमा के साथ-साथ समांतर सिनेमा में भी अपना सामंजस्य बनाए रखा. इस दौरान उनकी ‘सुबह’, ‘बाजार’, ‘भींगी पलकें’, ‘अर्थ’, ‘अर्द्धसत्य’ और ‘मंडी’ जैसी कलात्मक फिल्में और ‘दर्द का रिश्ता’, ‘कसम पैदा करने वाले की’, ‘आखिर क्यों’, ‘गुलामी’, ‘अमृत’, ‘नजराना’ और ‘डांस-डांस’ जैसी व्यावसायिक फिल्में प्रदर्शित हुईं, जिनमें स्मिता पाटिल के अभिनय के विविध रूप देखने को मिले.
पुरस्कार
महज 10 साल के करियर में उन्होंने करीब 80 फिल्में की, जिनमें से ज्यादातर हिट रहीं. करियर शुरू करने के महज चार सालों के अंदर ही उन्होंने अपना पहला नेशनल अवॉर्ड जीत लिया था. 1977 में पहला नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. 1977 में उन्हें फिल्म ‘भूमिका’ के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला, वहीं साल 1980 में फिल्म ‘चक्र’ ने उन्हें दूसरा नेशनल अवॉर्ड मिला. साल 1985 में उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया.
स्मिता पाटिल और राज बब्बर
एक्ट्रेस के तौर पर सबके दिल में अपनी जगह बनाने वाली स्मिता ने राज बब्बर के साथ अपने रिश्ते को लेकर उस समय खूब चर्चा में थीं. 1982 में ‘भीगी पलके’ की शूटिंग के दौरान स्मिता और राज की मुलाकात के बाद उनकी दोस्ती प्यार में बदल गई. राज बब्बर पहले से ही शादीशुदा थे, लेकिन फिर भी दोनों एक-दूसरे पर दिल हार बैठे थे. कुछ समय बाद दोनों ने साथ रहने का फैसला किया और राज अपनी पत्नी नादिरा को छोड़ स्मिता के साथ लिव इन में रहने लगे, जिसकी खूब आलोचना हुई थी. वहीं, कुछ समय बाद स्मिता और राज ने शादी कर ली थी.
स्मिता के इस फैसले से उनके माता-पिता कतई खुश नहीं थे लेकिन शादी के बाद दोनों के बीच का प्यार ज्यादा समय तक नहीं चल पाया. कुछ समय बाद ही दोनों के बीच मनमुटाव होने लगे थे. स्मिता ने एक बेटे को जन्म दिया और उसका नाम प्रतीक रखा गया. प्रसव के दौरान स्मिता काफी मुश्किल भरे दौर से गुजरीं और उनकी तबीयत बिगड़ गई. अपने बच्चे के जन्म के 15 दिन बाद ही 31 वर्ष की आयु में उन्होंने इस दुनिया से विदा ले ली.