Tuesday, November 29, 2022
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Tulsidas Jayanti 2022: तुलसीदास जयंती पर जानें उनके जीवन से जुड़ी खास बाते

रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास की जयंती हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है. इस वर्ष 2022 में तुलसीदास जयंती  04 अगस्त, गुरुवार को मनाई जाएगी. गोस्वामी तुलसीदास 16वीं सदी के महान संत और कवियों में एक माने जाते हैं. आइये जाने उनके जीवन के बारे में

कब और कहाँ हुआ था तुलसीदास का जन्म

अब तक के लिखे गए सबसे महान महाकाव्यों में से एक रामचरित मानस के रचयिता तुलसीदास जी का पूरा नाम गोस्वामी तुलसीदास था और उनका जन्म 1532 ईसवी में राजापुर जिला बांदा, उत्तर प्रदेश, भारत में मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में हुआ था. तुलसीदास के पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी था. बचपन में इनको तुलसीराम के नाम से जाना जाता था.

तुलसीदास जन्म से सरयूपारीण ब्राह्मण थे और इनको बाल्मीकि ऋषि, का अवतार माना जाता है. तुलसीदास का बचपन गरीबी और कष्ट में गुजरा था. तुलसीदास भगवान राम के सच्चे अनुयायी थे और शूकर-क्षेत्र में अपने गुरु, नरहरि-दास से शिक्षा ग्रहण करते थे.

पत्नी की बातो से हुए विरक्त

तुलसीदास (Tulsidas) जी का विवाह रत्नावली के साथ हुआ था. वे अपनी पत्नी रत्नावली से अत्यधिक प्रेम करते थे. तुलसीदास अपनी पत्नी के प्रेम में पूरी तरह से विरक्त थे. कहा जाता है कि एक बार उनकी पत्नी मायके गई हुई थीं. वे अपनी पत्नी से मिलने हेतु रात के मूसलाधार बारिश में मिलने उनके मायके पहुंच गए. कहते हैं कि तुलसीदास जी (Tulsidas) की पत्नी विदुषी महिला थीं. वे अपने पति की इस कृत्य पर बहुत लज्जित हुईं और उनको ताना देते हुए कहा- “हाड़ मांस को देह मम, तापर जितनी प्रीति, तिसु आधो जो राम प्रति, अवसि मिटिहि भवभीति”. यानी तुम्हें जितना प्रेम मेरे हाड़-मांस के इस शरीर से है अगर उसका आधा प्रेम भी श्रीराम से किया होता तो भवसागर से पार हो गए होते. पत्नी की इसी बात से तुलसीदास के जीवन की दशा बदल गई, परिणामस्वरूप वे प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन हो गए. देखते-देखते उन्हें रामचरितमानस महाकाव्य की रचना कर डाली. 

कौन कौन से ग्रंथो की रचना

महाकवि तुलसीदास जी ने 1574 से लिखना आरम्भ किया, और कई साहित्यिक कृतियाँ रची उनकी सबसे महान कृति ‘रामचरितमानस’  नामक महाकाव्य है, जो सारे महाकाव्यों में सबसे उत्तम है. इसमें सुन्दर कविताएं लिखी हुई हैं, जिनको ‘चौपाई’ के नाम से जाना जाता है, यह कविताएं केवल भगवान राम को समर्पित हैं. 

तुलसीदास द्वारा रामचरित मानस के अलावा रचित कुछ अन्य महान साहित्यिक कृतिया है. जिनमे दोहावली, कवितावली, गीतावली, कृष्णावली, विनयपत्रिका और देव हनुमान की स्तुति की गई बहुत सम्मानित कविता हनुमान चालीसा शामिल है. इनकी लघु रचनाओं में वैराग्य संदीपनी, बरवै रामायण, जानकी मंगल, रामलला नहछू, पार्वती मंगल और संकट मोचन शामिल हैं.

रामचरित मानस में छुपे है जीवन की सफलता के कई राज

तुलसीदास जी ने अपने महाकाव्य रामचरित मानस में भगवान श्रीराम के जीवन को दर्शाया है. तुलसीदास जी के प्रेरणादायक दोहे जिसने जीवन में अपना लिए उसकी तरक्की तय है. इन दोहों में सफलता का राज छिपा है.  

राम नाम  मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।

तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर।

अर्थात – तुलसीदास जी के अनुसार खुशहाल जीवन के लिए व्यक्ति को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए. अपशब्द बोलने की बजाय राम का नाम जपे. इससे गुस्सा भी शांत होगा और रिश्तों में खटास भी नहीं आएगी.

तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।

साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक

अर्थात – विपरित हालातों में घबराएं नहीं. मुश्किल परिस्थिति में डर की बजाय बुद्धि का सही उपयोग करें. विवेक से काम लें. मुसीबत में साहस और अच्छे कर्म ही व्यक्ति को सफलता दिलाते हैं. ईश्वर पर सच्चा विश्वास रखें.

तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर।

सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।

अर्थात – तुलसीदास जी के अनुसार सुंदरता देखकर न सिर्फ मूर्ख बल्कि चालाक इंसान भी धोखा खा जाता है. मोर दिखने में बहुत सुंदर लगते हैं लेकिन उनका भोजन सांप है. इसलिए सुंदरता के आधार पर कभी व्यक्ति पर भरोसा न करें.

आगें कह मृदु बचन बनाई। पाछें अनहित मन कुटिलाई॥

जाकर ‍चित अहि गति सम भाई। अस कुमित्र परिहरेहिं भलाई

अर्थात –  तुलसीदान जी कहते हैं जो मित्र आपके सामने कोमल वचन बोले लेकिन मन में उसके द्वेष की भावना हो तो ऐसे दोस्त का तुरंत त्याग कर दें. ऐसे कुमित्र सफलता के मार्ग में रोड़ा बनते हैं.

तुलसी जे कीरति चहहिं, पर की कीरति खोइ।

तिनके मुंह मसि लागहैं, मिटिहि न मरिहै धोइ।।

अर्थात – तुलसीदास जी के अनुसार जो लोग दूसरों की बुराई कर खुद सम्मान पाना चाहते हैं, ऐसे लोग बहुत जल्द अपनी मान-प्रतिष्ठा खो देते हैं. इनके मुंह पर ऐसी कालिख पुत जाती है जो कभी नहीं मिटती. इसका मतलब है कि दूसरी की बुराई करने की बजाय अच्छे कर्म करें. इससे न सिर्फ कामयाबी मिलेगी बल्कि समाज में सम्मान के पात्र बनेंगे.

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