मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इस दिन एकादशी माता का जन्म हुआ था इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा की जाती है. उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने से जीवन में सुख एव समृद्धि आती है, और जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है. उत्पन्ना एकादशी 20 नवम्बर 2022 को है.
उत्पन्ना एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी तिथि प्रारम्भ- नवम्बर 19, 2022 को 10:29 am बजे तक
एकादशी तिथि समाप्त – नवम्बर 20, 2022 को 10:41am बजे तक
पारण का समय – नवम्बर 21, 06:40 am से 08:47 am तक
उत्पन्ना एकादशी पूजा सामग्री
- भगवान विष्णु की मूर्ति, फूल
- नारियल, सुपारी
- फल, लौग
- धुप, दिया
- घी, पंचामृत
- अक्षत, तुलसी दल
- चन्दन, मिठाई
उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि
- सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद घर के मंदिर में दिया जलाए.
- भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करे.
- भगवान विष्णु को फूल एव तुलसी दल चढ़ाये.
- उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखे एव आरती करे.
- भगवान को सात्विक चीजो का भोग लगाए.
- भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी की पूजा करे एव भगवान का ध्यान करे.
उत्पन्ना एकादशी कथा
सतुयग में एक मुर नामक दैत्य था. जिसने इंद्र सहित सभी देवताओं को जीत लिया था. जिससे सभी देवता दुखी होकर भगवान शिव के पास गये, भगवान शिव से अपने दुखो को कहते हुए प्रार्थना करते है की हे भगवान हमें इस संकट से निकालो. भगवान शिव सभी देवता को विष्णु के पास जाने को कहते है. सभी देवता भगवान विष्णु के पास जाते है. उस समय भगवान नीद में होते है और जब कुछ समय बाद भगवान नेत्र खोलते है तब भगवान सभी देवताओं के आने का कारण पूछते है. तब इंद्र देव ने बताया की मुर नामक दैत्य ने सभी देवताओं को मृत्यु लोक में जाने के लिए विवश कर दिया है. यह बात सुनकर विष्णु स्वयं मुर दैत्य का वध करने उसकी नगरी चन्द्रावती जाते है. मुर और भगवान विष्णु के बीच युद्ध प्रारम्भ होता है और वह युद्ध कई वर्षो तक चलता है.
भगवान विष्णु को बीच युद्ध में नीद आने लगती है और वे सोने के लिए हेमवती नामक गुफा में चले जाते है. भगवान विष्णु के पीछे मुर भी चला जाता है. नीद में सोते हुए जब वह भगवान विष्णु को मारने जाता है. तभी भगवान के शरीर से एक कन्या की उत्त्पति होती है और वह मुर से युद्ध करके सर धड़ से अलग कर देती है. जब भगवान विष्णु नीद से उठते है तब उन्हें आश्चर्य होता है की यह कैसे हुआ. तब कन्या ने उन्हें यह युद्ध विस्तार से बताया यह सब सुनकर भगवान विष्णु खुश हुए और उन्होंने कन्या से कुछ मागने को कहा तब कन्या ने भगवान विष्णु से कहा की मुझे ऐसा वरदान दे की अगर कोई व्यक्ति मेरा व्रत रखे तो उसके सभी पाप दूर हो और वे विष्णुलोक प्राप्त करे तब भगवान ने उस कन्या को एकादशी नाम दिया. भगवान विष्णु के शरीर से उत्त्पत्ति होने से ये एकादशी उत्पन्ना एकादशी कही जाती है.