अश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को हर साल महर्षि वाल्मीकि की जयंती मनाई जाती है. महर्षि वाल्मीकि की जयंती पुरे देश में लोग बड़े हर्षोल्लास के साथ मानते हैं. संस्कृत भाषा के प्रथम महाकाव्य की रचना करने के कारण महर्षि वाल्मीकि को आदि कवि भी कहा जाता है महर्षि वाल्मीकि के द्वारा ही हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण महाकाव्य रामायण की रचना की गई थी. वाल्मीकि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखी गई रामायण को सबसे प्राचीन माना जाता है. इस दिन देशभर में कई जगह धार्मिक कार्यक्रम होते है, झांकियां निकाली जाती हैं और मंदिरों में वाल्मीकि जी की पूजा की जाती है. महर्षि वाल्मीकि जी के नाम और उनके महर्षि बनने की कहानी बहुत दिलचस्प है. आइये जानते है इस आदि कवी के जीवन के बारे में
वाल्मीकि जयंती 2022 कब है
हिंदू धर्म के कैलेंडर के अनुसार आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन वाल्मीकि जयंती मनाई जाती है. इस बार पूर्णिमा तिथि 9 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 10 अक्टूबर को सुबह 2 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार वाल्मीकि जयंती 9 अक्टूबर को मनाई जाएगी.
क्या है वाल्मीकि से जुडी कहानी
महर्षि वाल्मीकि को लेकर प्राचीन काल से कई कहानिया प्रचलित है और पौराणिक कथाओं के अनुसार वाल्मीकि का नाम रत्नाकर था और वे एक डाकू थे. लेकिन बाद में जब उन्हें इस बात का ज्ञान हुआ कि वे गलत रास्ते पर हैं तब उन्होंने इस रास्ते को छोड़ धर्म का मार्ग अपनाया था. उन्हें देवर्षि नारद ने राम नाम का जप करने की सलाह दी थी. जिसके बाद वाल्मीकि जी राम नाम में लीन होकर एक तपस्वी बन गए. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ही ब्रह्मा जी ने उन्हें ज्ञान का भंडार दिया और फिर उन्होंने रामायण लिखी. जो कि हिंदू धर्म में आज एक धार्मिक ग्रंथ के तौर पर पूजी और पढ़ी जाती है.
ऐसा भी हमारे हिन्दू ग्रंथो में सुनाने को मिला है कि जब भगवान राम ने वन से लौटकर अयोध्या वासियों के कहने पर माता सीता का परित्याग किया था तो माता सीता ने महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में ही निवास किया था. इसी आश्रम में ही उन्होंने लव-कुश को जन्म दिया था. इसलिए लोगों के बीच वाल्मीकि जयंती का विशेष महत्व है.
कैसे पड़ा वाल्मिकी नाम
पौराणिक कथाओ के अनुसार, एक बार महर्षि वाल्मीकि कई दिनों तक तपस्या में लीन थे. वे तपस्या में इतने अधिक मग्न हो गए कि उनके शरीर पर दीमक लग गया और उन्हें इस बात का पता भी ना चल सका. महर्षि नें जब अपनी साधना को पूर्ण करने बाद आंखें खोली तो उसके बाद अपने शरीर से दीमक को हटाया. मान्यतानुसार दीमक जब किसी स्थान पर अपना घर बना लेता है तो उसे ही वाल्मीकि कहा जाता है. कहते हैं कि इसी कारण से महर्षि का नाम वाल्मीकि पड़ा.
वाल्मिकी जयंती पर भेजे शुभकामनाये
- महर्षि वाल्मीकि ने रामायण लिख
मानवता पर किया उपकार है.
इसलिए वाल्मीकि जयंती पर
पूरा विश्व कर रहा नमस्कार है.
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं।
- गुरूवर वाल्मीकि ने ज्ञान की गंगा बहाई है,
क्या आपने उसमें डुबकी लगाई है.
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं।
- आपको ज्ञान मिले ऋषि वाल्मीकि से,
धन-दौलत-वैभव मिले मां लक्ष्मी से,
शक्ति मिले आदि शक्ति मां दुर्गा से,
सुख-शांति और उन्नति मिले प्रभु श्री राम से.
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं।
- गुरु हम सभी को देते हैं ज्ञान
गुरु होते हैं सबसे महान.
वाल्मीकी जयंती के शुभ मौके पर
आओ अपने गुरु को करें प्रणाम.
वाल्मीकि जयंती की शुभकामनाएं।