मार्गशिर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है. हिन्दू धर्म में विवाह पंचमी का बहुत महत्व होता है. इस दीन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था. विवाह पंचमी 28 नवम्बर 2022 को है. इस शुभ अवसर पर भगवान राम और माता सीता की पूजा करने से वैवाहिक जीवन की सभी परेशानिया समाप्त हो जाती है. लेकिन विवाह पंचमी का दिन विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है. आइये जानते विवाह पंचमी का मुहूर्त .
विवाह पंचमी तिथि एवं शुभ मुहूर्त
विवाह पंचमी तिथि प्रारंभ- 27 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 25 मिनट से
पंचमी तिथि समाप्त – 28 नवंबर 2022 को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट
अभिजित मुहूर्त – सुबह 11:53- दोपहर 12:36
विवाह पंचमी का महत्व
विवाह पंचमी के दीन देश भर में भगवान राम और माता सीता के मंदिरों में बहुत बड़ा आयोजन किया जाता है. भगवान राम और माता सीता के विवाह की वर्षगाठ बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है. अयोध्या में ये तिथि उत्सव के साथ मनाते है. इसी दिन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना पूरी की थी. माना जाता है कि इस दिन पूजन अनुष्ठान करने से दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाता है. विवाह पंचमी का अयोध्या और नेपाल में विशेष आयोजन किया जाता है.
विवाह पंचमी पूजा विधि
- विवाह पंचमी के दिन पति पत्नी मिलकर भगवान राम और माता सीता के विवाह का संकल्प ले.
- इसके बाद पूजा स्थान पर एक चौकी रखे.
- चौकी पर भगवान राम और माता सीता की तस्वीर रखे .
- भगवान राम को पीले और माता सीता को लाल वस्त्र चढ़ाये
- रामायण के बालकाण्ड में विवाह प्रसंग का पाठ करे और ॐ जानकीवल्लभाय नमः मंन्त्र का 108 बार जप करे .
- इसके बाद माता सीता और भगवान राम का गठबंधन कर उनकी आरती करे और गाठ लगे इस वस्त्र को अपने पास रखे .
विवाह पंचमी कथा
पौराणिक मान्यताओ के अनुसार माता सीता का जन्म पृथिवी से हुआ था. जब राजा जनक हल जोत रहे थे तब उन्हें एक कन्या मिली और उस कन्या का नाम सीता रखा. राजा जनक सीता को पुत्री रूप में पाकर प्रसन्न हुए और उन्होंने पुत्री सीता का पालन-पोषण किया. एक बार मंदिर में रखे भगवान शिव के धनुष को माँ सीता ने उठा लिया. इस धनुष को भगवान परशुराम के सिवाय कोई और नहीं उठा सकता था. यह देख राजा जनक समझ गए कि ये कोई साधारण बालिका नहीं है और उन्होंने उसी समय निर्णय लिया कि जो भी शिव जी के इस धनुष को उठाएगा उसी के साथ वे अपनी पुत्री सीता का विवाह करेंगे.
जब पुत्री सीता विवाह के योग्य हुई तो राजा जनक ने उनके लिए स्वयंवर रखा और यह घोषणा कर दी कि जो भी इस धनुष को उठाकर प्रत्यंचा चढ़ा देगा. वे उसी के साथ अपनी पुत्री सीता का विवाह करेंगे. महर्षि वशिष्ठ के साथ भगवान राम और लक्ष्मण जी भी स्वयंवर में उपस्थित थे. स्वयंवर आरंभ होने के बाद जब कोई भी उस धनुष को नहीं उठा पाया तो राजा जनक अत्यंत दुखी हुए और बोले कि क्या कोई भी ऐसा नहीं है जो मेरी पुत्री के योग्य हो. तब महर्षि वशिष्ठ ने भगवान राम को शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने की आज्ञा दी. उनकी आज्ञा का पालन करते हुए भगवान राम शिव जी के धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने लगे और धनुष टूट गया. तब राजा जनक ने श्री राम जी से सीता का विवाह करा दिया. इस प्रकार माता सीता और भगवान राम का विवाह हो गया. इस प्रकार आज भी विवाह पंचमी को माता सीता और भगवान राम के विवाह के रूप में पुरे उत्साह से मनाया जाता है.