आज पुरे विश्व में शेरो की संख्या में कमी आती जा रही है अगर ऐसा ही चलता रहा तो शेरो की प्रजाति विलुप्तता के कगार पर पहुंच जायेगी इसी कारण हर वर्ष 10 अगस्त को शेरों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व शेर दिवस मनाया जाता है. यह दिन शेर के संरक्षण के लिए समर्थन जुटाने का भी प्रयास करता है.
क्या है विश्व शेर दिवस का इतिहास
वर्ल्ड लायन डे की शुरुआत साल 2013 में की गई, इसके द्वारा जन समुदाय को शेरो के दुर्दशा जैसी बातो के प्रति जागरूक करना है और जिन लोगो का निवास स्थान जंगलो में जंगली शेरों के पास हो, उन्हें शिक्षित करना है ताकि वे अपनी सुरक्षा कर सके और सिंहो को उनसे कोई हानि न हो. साल 2013 से लेकर अब तक हर साल इस दिन को 10 अगस्त के दिन मनाया जाता है.
विश्व शेर दिवस की स्थापना 2013 में बिग कैट इनिशिएटिव (Big Cat Initiative) और नेशनल जियोग्राफिक (National Geographic) के सह-संस्थापक डेरेक (Dereck) और बेवर्ली जौबर्ट (Beverly Joubert) द्वारा की गई थी. जिसका मुख्य उद्देश्य इन जंगली बिल्लियों के अस्तित्व को उनके मूल वातावरण में सुरक्षित रखना है. इसके अलावा, यह पहल सुरक्षा उपायों पर जंगली बिल्लियों (विशेषकर शेर) और उनके आस-पास के निवासियों के साथ सहयोग करती है.
विश्व सिंह दिवस का महत्व
विश्व सिंह दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य शेरों के तेजी से शिकार हो रहे और उनकी प्रजातियों के विलुप्त हो रही संख्या को संरक्षण प्रदान करने के लिए, जागरूकता बढ़ाना के लिए इस दिन को मनाया जाता है. इस दिन को मना कर लोगों के बीच शेरों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है और उनकी विलुप्त हो रही आबादी को बचाने के लिए संरक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.
गुजरात का शेरों के संरक्षण-संवर्धन में योगदान
एशियाई शेरों के संरक्षण जैसे मुद्दों पर जूनागढ़, सौराष्ट्र सहित गुजरात के स्थानीय लोगों का अमूल्य योगदान दिया है. भारत में विश्व शेर दिवस का आयोजन 2016 से गुजरात के वन विभाग की ओर से आरंभ किया गया. 2016 में 5.46 लाख, 2017 में 8.76 लाख, 2018 में 11.02 लाख, 2019 में 11.37 लाख लोगों ने हिस्सा लिया. 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी की वजह से विश्व शेर दिवस का प्रत्यक्ष उत्सव मनाना असन्भव था. फिर भी मौखिक रूप से मनाए गए उत्सव में 2020 में 72.63 लाख और 2021 में 85.01 लाख लोग देश-विदेश से जुड़े.
इस वर्ष भी विश्व शेर दिवस पर बुधवार को सौराष्ट्र में मनाया जाने वाला उत्सव दुनिया में पाए जाने वाले शेरों के महत्व को बताएगा. विश्व शेर दिवस पर सौराष्ट्र के 8 जिलों के 6500 स्कूलों व कॉलेजों में वन विभाग, शिक्षा विभाग और स्थानीय लोगों के संयुक्त प्रयासों से बुधवार को विश्व शेर दिवस मनाया जाएगा. शेर संरक्षण और प्रजनन पर सैटकॉम के माध्यम से मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के संदेश का सीधा प्रसारण होगा.
उसके बाद स्कूल परिसरों से शेर के मुखौटे पहनकर व बैनर लेकर शेरों के संरक्षण व संवर्धन संबंधी नारे लगाते हुए रैली निकाली जाएगी. रैली पूरी होने के बाद सभी स्कूल परिसरों में शेर पर बनी करीब 10 से 12 मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा.
क्या है शेरों का इतिहास
शेरों के इतिहास की बात करे तो आज से लगभग तीन मिलियन साल पहले एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में शेर स्वतंत्र रूप से घूमते थे. लेकिन बीते 100 सालों में शेर अपनी ऐतिहासिक सीमा के 80 प्रतिशत इलाके से गायब हो गए हैं. वर्तमान में शेर 25 से ज्यादा अफ्रीकी देशों और एक एशियाई देश में मौजूद हैं. हाल ही में किए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि शेरों की संख्या 30,000 से घटकर लगभग 20,000 हो गई है.
भारत में पाए जाने वाले एशियाई शेरों की बात की जाए तो वह अब प्रतिबंधित गिर वन और राष्ट्रीय उद्यान और इसके आसपास के क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं. हालांकि बीते दिनों की बात करे तो दशकों साल पहले ये पश्चिम में सिंध से लेकर पूर्व में बिहार तक फैले भारत-गंगा के मैदानों में स्वतंत्र रूप से घूमते थे.